यहाँ इन्सान और हाथियों बीच छिड़ी है जंग..किसकी होगी जीत..?

सूरजपुर 
भैयाथान से संदीप पाल 
सूरजपुर जिले में ऐसा लगता है कि इंसानो और हाथियों के बीच जंग छिड़ गयी है! हाथी ग्रामीणों को उनके गांव से खदेड़ना चाहते हैं. वही दूसरी ओर इंसान हाथियों को जंगल से. इस जंग में किसका पलड़ा भारी रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन जमीन को लेकर छिड़ी जंग में कभी इंसान तो कभी हाथियों को अपनी जान गवानी पड़ रही है.
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में बसे सैकड़ो गांव में लोगो की जान पर बन आयी है. वन विभाग, पुलिस और प्रशासन की टीम गांव के करीब घुसे हाथियों को खदेड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है. उधर हाथी भी टस से मस नहीं हो रहे हैं. वो दो कदम पीछे और चार कदम आगे बढ़ कर ग्रामीणों पर ही हमले की तैयारी में हैं.
इन हाथियों को खदेड़ने के लिए देशी पटाखों, सायरन और शोरगुल का इस्तेमाल होता है. ताकि हाथी लोगों की चीख पुकार सुनकर वापस जंगल की ओर चले जाएं. कुछ देर के लिए हाथी जरुर जंगल का रुख कर लेते हैं. लेकिन मौका पाते है फिर इन गांव वालों पर टूट पड़ते हैं.
हाथियों से बदहाल सूरजपुर जिला के लोग!
हाथी प्रभावित इलाको का की पड़ताल पर जब संवादाता ने ग्रामीणों से रूबरू होते वक्त ग्रामीणो ने कहा कि आजकल किसानों के लिए हाथी एक संकट बन गया है.सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकाशखण्ड में  के आस पास गांव में 2014 से 2017 तक 24 लोगों की जान जा चुकी है.वही अभी तक 5 हाथियों की जान भी जा चुकी है। सूरजपुर जिले में इंसानो और हाथियों के बीच जंग छिड़ी हुई है.
2014 से 2017 तक सरकारी आकड़ो के अनुसार 
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर के गांव में इस तरह का नजारा आम है, बात हो चुकी है। कभी इंसानों की तो कभी हाथियों की जान पर बन आती है. सरकारी रिकॉर्ड में बीते 2014 से लेकर 2017 तक 5 हाथियों की मौत इस संघर्ष में हुई है. लेकिन गैर सरकारी आकड़ो के मुताबिक़ कभी करेंट लगा कर तो कभी जहर देकर ग्रामीणों ने भी कई हाथियों को मौत के घाट उतार डाला है. जंगल में कई दिनों तक पड़े रहकर हाथियों का शव सड़ गल जाता है. फिर लोग मौका पाते ही हाथियों के अवशेषों को ठिकाने लगाना शुरू कर देते है.
दाने-पानी की तलाश में जानलेवा बनते हाथी!
ग्रामीणों के मुताबिक कभी दाने पानी की तलाश में तो कभी हरी भरी फसलों को रौंदने के लिए हाथियों का दल गांव पर हमला कर देता है. इस दौरान उनकी राह में रोड़ा बने ग्रामीणों को हाथी अपने पैरों तले कुचल देते हैं. इन हाथियों पर हमला करना आसान नही होता. लिहाजा मौका पाते ही घर बार छोड़ कर ये ग्रामीण अपनी जान बचाते हैं.
वही 2 फरवरी 2017 को झिगादोहर ,सोनगरा में हाथी से मौत को लेकर ग्रामीणों ने बनारस मार्ग में चक्काजाम कर दिया था वे सिलसिलेवार हो रहे घटना से नाराज थे वही वन विभाग द्वारा एक हफ्ते का टाइम भी दिया गया था और प्रतापपुर एसडीएम के लिखित अस्वाशन के बाद चक्काजाम समाप्त हुआ था लेकिन आज तक ग्रामीणों की मांग पूरी नही हुई ।ग्रामीणों की मांग थी कि सोलर फेसिंग , मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग करते हुए चक्काजाम किया था लेकिन आज तक इनकी मांग पूरी नही हुई हो पाई ज्ञात हो कि सोनगरा छेत्र के झिगादोहर व आसपास का परिवेश हाथियों के रहवास का प्रमुख अनुकूल है। लम्बे समय से हाथी यहा डेरा जमाए हुए है। यहां पानी ,चारा,की पर्यप्ति उपलब्धता होने के कारण हाथी इस इलाके से नही भाग रहे है। अयेसे में हाथियों को विभाग द्वारा एक समिति छेत्र में ही रोकने की मन्सा से वन विभाग द्वारा सोनगरा ,झिगादोहर व उसके आस पास लगे गांव के कुछ हिस्सों में सोलर फेंसिंग का पस्तओ तैयार किया गया था लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया है।