मेरिन ड्रायव के बाद खरसू तालाब मे मछलियो के मरने का सिलसिला जारी.

अम्बिकापुर

मछली जल की रानी जीवन उसका पानी है,,, ये कविता बचपन मे सबने पढी होगी,, लेकिन जीवनदायक पानी ही अगर मछलियो के मौत का कारण बन जाए,, तो सच्ची कविता में भी संदेह पैदा होने लगता है। unnamed (5)

अम्बिकापुर के तालाबो की कथित सफाई मे अब तक लाखो रुपए खर्च किए जा चुके है। लेकिन फिर भी यंहा के तालाबो में मछलियो के मरने का सिलसिला बदस्तूर जारी है,, पहले बीते 26 जनवरी को शहर के मैरिन ड्रायव तालाब मे कई क्विंटल मछलिया मर गई थी,, तो पिछले दो दिनो से जिला कलेक्ट्रेट के पास स्थित करसू तालाब मे मछलियो को मरने से आस पास के रहवासियो मे खासा आक्रोश है,, लोगो के मुताबिक करसू तालाब में सत्तीपारा इलाके के सैकडो घरो का गंदा पानी नालियो के माध्यम से आता है। जिससे पानी गंदा हो रहा है और मछलियो की मौत हो रही है। unnamed (3)

जिस करसू तालाब मे मछलियां मर रही है उसकी सफाई के लिए कई मर्तबा साफ सफाई के नाम पर निगम ने लाखो रुपए खर्च किए है। और शहर के बीचो बीच होने और कलेक्ट्रेट के पास होने के कारण जिस तालाब के सौंदर्यीकरण की आवश्यकता है,, उसमे गंदगी की वजह से मछलियो का मरना निगम प्रबंधन की कथनी और करनी पर कई सवाल खडा कर रहा है,, लेकिन निगम प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी आक्सीजन की कमी को मछलियो की मौत के लिए जिम्मेदार बता कर अपना पलडा छाड रहे है।

अम्बिकापुर के करसू तालाब मे अब तक 2 क्विंटल से अधिक मछलियो की मौत हो चुकी है,, और जिस करसू तालाब मे मछलियो की मौत का सिलसिला जारी है,, वो शहर के सबसे घना रिहायसी क्षेत्र है। लिहाजा मछलियो की मौत से किसी गंभीर बिमारी फैलने की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है। बहरहाल देखना है कि नागरिक सुविधा के दावे करने वाली अम्बिकापुर नगर निगम जीव हत्या रोकने के लिए क्या प्रयास करती है।