मेडिकल कालेज की होड़ में मरीज है भूखे…

  • मेडिकल काॅलेज के कामों में उलझे सभी, और मरीज भूखे
  • रसोई घर की व्यवस्था चरमराई, समय पर नहीं आ रहा सामान

अम्बिकापुर

मेडिकल काॅलेज की मान्यता मिलने के बाद जहां अधिकारी उसकी व्यवस्था बनाने मंे मसरूफ हो गये है वहीं इस लापरवाही का खामियाजा अस्पताल में दाखिल मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले दो-तीन दिनों से अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण विभाग रसोई घर की व्यवस्था चरमरा गई है। किसी अधिकारी का रसोई घर की ओर ध्यान नहीं होने से वहां खाद्य सामग्री का टोटा हो चुका है। आलम यह है कि देर से सामान वहां पहुंचने पर मरीजों को दोपहर का खाना दो बजे मिल पा रहा है।

ज्ञात हो कि लगभग 70 किलों चावल की आवष्यकता अस्पताल के रसोई घर में रोज पड़ती है। इसके अलावा सही समय पर सब्जियां, दाल व अन्य खाद्य सामग्री की उपलब्धता होनी चाहिए। वर्तमान की बात करें तो समय पर यह सभी खाद्य सामग्री के उपलब्ध नहीं होने पर स्थिति गड़बड़ा गई है। मेडिकल काॅलेज की व्यवस्था में उलझे अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। आज गुरूवार को चावल कम पड़ जाने से आधे- अधूरे मरीजों को भोजन मिल सका था। चावल कम पड़ जाने से कर्मचारी हाथ पर हाथ रखकर बैठे थे। देर से पुनः चावल उपलब्ध कराया गया तो दोपहर दो बजे तक अन्य मरीजों को भोजन मिल सका। यह स्थिति पिछले तीन-चार दिनों से लगातार देखी जा रही है। रसोई घर जैसे महत्वपूर्ण विभाग को देखने न तो स्टूवर्ड आते है और न ही मेडिकल सुप्रीटेन्डेड। मेडिकल काॅलेज की व्यवस्था बनाने में उलझे इन अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। पहले की अपेक्षा मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता में भी कमी देखी जा रही है। एक समय था जब घी लगी रोटी, छोंकी हुई चावल के साथ मरीज को स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध हो पाता था। उम्मीद तो यह थी कि मेडिकल काॅलेज की मान्यता मिलने के बाद यहां की स्थिति और अच्छी होगी, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। अधिकारी अगर इस ओर ध्यान नहीं देते है तो आने वाले दिनों में अस्पताल की रसोई घर का बेडागर्र होने से कोई नहीं रोक सकता।