मेडिकल कालेज की होड में अस्पताल में पसरी गन्दगी…

अम्बिकापुर 

मेडिकल काउंसिल आँफ इण्डिया ने अम्बिकापुर मे मेडिकल कालेज की स्थापना की मंजूरी भी दे दी,, औऱ इस मंजूरी के बाद जिला प्रशासन ने इसे खोलने के लिए भवन और तमाम व्यवस्थाए भी दुरुस्त करना शुरु कर कर दिया है… लेकिन जिस जिला अस्पताल को मेडिकल कालेज के रीड की हड्डी मान कर एमसीआई ने हरी झंडी दी है.. उसमे पसरी गंदगी मेडिकल कालेज प्रबंधन की लापरवाही औऱ मनमानी की कहानी बयां करने के लिए काफी है…
अम्बिकापुर मे मेडिकल कालेज खोलने की मंजूरी के बाद अम्बिकापुर जिला अस्पताल के सामने मेडिकल कालेज का बोर्ड लग गया, समूचे संभाग के लोग इस खबर से खुश है.. लेकिन जिस अस्पताल के व्यवस्थाओ के दम पर एमसीआई ने मेडिकल खोलने की अनुमति दी ,, अगर आप उसको भीतर एडमिट है, तो शायद आप और बीमार हो सकते है..  ये हम नही बल्कि अम्बिकापुर जिला अस्पताल के अंदर पसरी गंदगी और यंहा के मरीज खुद कह रहे है…

अस्पताल के ज्यादातर वार्ड गंदगीरुपी बिमारी के आगोस मे है, तो कुछ वार्ड के मरीज सीधे अस्पताल के खुले स्पेटिंक टैंक के संपर्क मे है.. ये सब इसलिए नही कि मरीजो को वार्ड से निकाल कर बाहर एडमिट किया गया है, बल्कि ये सब इसलिए क्योकि अस्पताल के भीतर और कैंपस मे साफ सफाई का आभाव है.. और अस्पताल मे एडमिट मरीज और उनके परिजनो को इस गंदगी से हर वक्त दो चार होना पड रहा है.. इधर मेडिकल कालेज की स्थापना से खुश और इस इस अव्यवस्था को नजरअंदाज करने वाले कर्मचारी खुद ये मान रहे है कि अस्पताल मे  गंदगी है उसे वो साफ करा देगें। हांलाकि अधिकारी ने ये नही बताया कि वो मेडिकल कालेज वाले इस अस्पताल से गंदगी कब साफ कराएगें।

आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग के लोगो को बेहतर इलाज के लिए 300 किलोमीटर दूर रायपुर या फिर पडोसी राज्य के बनारस और रांची जैसे स्थानो मे जाना पडता था,, लेकिन इसी सत्र से खुलने वाले मेडिकल कालेज के कारण अब मरीज अपना बेहतर इलाज संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मे ही करा सकेंगे… लेकिन अस्पताल मे फैली अव्यवस्था और गंदगी को देखकर ये सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन नियम और शर्तो के मुताबिक एमसीआई ने अम्बिकापुर जिला अस्पताल को मेडिकल कालेज का दर्ज दिया है उससे ये अस्पताल कोई वास्ता नही रखता है