महिलाओं की सुरक्षा, स्वाभिमान एवं सम्मान का संरक्षण जरूरी : श्रीमती लता उसेंडी

अम्बिकापुर 21 फरवरी 2015
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा संभाग मुख्यालय सरगुजा के जिला पंचायत कार्यालय सभाकक्ष में आज महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीड़न निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोषण, महिला अदालत एवं दण्ड विधि अधिनियम पर संभाग स्तरीय प्रषिक्षण सह कार्यषाला का आयोजन किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लता उसेंडी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान में महिलाओं के कार्यक्षेत्र में व्यापक वृद्धि हुई है। सामाजिक गतिविधियों के साथ ही साथ ज्ञान-विज्ञान के सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने अपने नेतृत्व और भागीदारी का लोहा मनवाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में महिलाओं की भूमिका अहम है। महिलाओं की बढ़ती भूमिका के साथ ही साथ कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा, स्वाभिमान एवं सम्मान का संरक्षण जरूरी है। महिलाएं अपनी पूरी प्रतिभा एवं दक्षता के साथ कार्य कर सकें, unnamed (2)इसके लिए भयमुक्त वातावरण नितांत आवष्यक है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ शासकीय कार्यालयों में अपितु निजी संस्थानों में भी कार्यरत महिलाएं स्वयं को सुरक्षित एवं सम्मानित महसूस कर सकें, इसके लिए कामकाजी महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में भी अपेक्षित बदलाव जरूरी है।
षिकायतों की सुनवाई विकासखण्ड स्तर पर
श्रीमती उसेंडी ने कहा कि दिल्ली में हुए निर्भया एवं आरूषि हत्याकांड के बाद से समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनषीलता बढ़ी है। शासन द्वारा भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को कड़ाई से रोकने के लिए पुराने कानूनों में आवष्यक संषोधन कर कड़े एवं कारगर कानून लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब महिला प्रताड़ना संबंधी सुनवाई विकासखण्ड स्तर पर भी होगी। इसके लिए गठित समिति में शासकीय सदस्य भी शामिल होंगे। ग्रामीण क्षेत्र की घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, टोनही प्रताड़ना एवं सम्पति विवाद आदि से परेषान महिलाओं के लिए विकासखण्ड स्तर पर महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय में सुनवाई की जाएगी। इसके लिए महिलाएं अपनी षिकायत महिला एवं बाल विकास की परियोजना कार्यालय में भेज सकती हैं अथवा स्वयं प्रस्तुत कर सकती हैं।
श्रीमती उसेंडी ने कहा कि धीरे-धीरे महिलाओं में जागरूकता आ रही है। घरेलू हिंसा सहित बाह्य परिवेष में होने वाले अपराधों की षिकायतें प्राप्त हो रही हैं। षिक्षा के प्रसार से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में भी जागरूकता आ रही है। उन्होंने कहा कि महिला आयोग द्वारा प्रदेष के सभी संभागों में इस तरह की कार्यषाला का आयोजन किया जाएगा। सरगुजा संभाग में महिलाओं के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण निर्मित हो, एक अच्छा वातावरण बन सके, इसी आषय से यह शुरूआत की गई है। महिला आयोग की सदस्य श्रीमती हर्षिता पाण्डेय ने अपने संबोधन में कार्यषाला के उद्देष्यों को विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया।
सरगुजा संभाग के कमिष्नर श्री टी.सी. महावर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षा एवं स्वस्थ वातावरण का आभास होना जरूरी है, ताकि वे अपनी पूरी दक्षता के साथ कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर अपना पूरा ध्यान अपने दायित्वों पर होना चाहिए। कमिष्नर ने कहा कि महिलाओं के प्रति होने वाली घटनाएं कार्य की दषा, समय एवं परिवेष पर निर्भर करती हंै। उन्होंने कहा कि महिला एवं पुरूषों को कार्य करने की स्वतंत्रता प्राप्त है, किन्तु स्वतंत्रता स्वच्छंदता में परिवर्तित न हो, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। कमिष्नर ने कहा कि महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर विषेष रूप से चैकस रहने की आवष्यकता है। उन्होंने सभी कार्यालय प्रमुखों, कन्या छात्रावासों एवं आश्रमों के अधीक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को भी संवेदनषील रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन करने की समझाईष दी।
कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन ने राज्य महिला आयोग को इस आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस आयोजन से महिलाओं में जागरूकता आएगी। इस कार्यषाला के द्वारा महिलाओं को अपने प्रति हो रहे हिंसा एवं लैगिंक भेदभाव को रोकने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब महिलाएं घरेलू हिंसा एवं कार्यस्थल पर उत्पीड़न को सहने के बजाए उसकी षिकायत कहां और कैसे करें तथा उसका निराकरण कैसे हो- इसकी समझ विकसित होगी। उन्होंने प्रषिक्षकों से कहा कि इस प्रषिक्षण को गंभीरता से लें तथा महिलाओं के प्रति समाज में हो रहे उत्पीड़न एवं भेदभाव को दूर करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि किसी एक महिला या बालिका के प्रति हुई हिंसा का व्यापक सकारात्मक प्रभाव समाज में देखने को मिलता है। इसी प्रकार किसी एक बालिका की सफलता समाज की अनेक बालिकाओं के लिए सुअवसर का मार्ग प्रषस्त करता है।
पुलिस अधीक्षक श्री सुन्दरराज पी. ने कहा कि कामकाजी महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। कार्यस्थल तक जाने एवं कार्य संपादित करने में उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग महिलाओं को भयमुक्त वातावरण प्रदान करने एवं सुरक्षा देने में सदैव तत्पर रहा है।
जिला विधिक सहायता प्रकोष्ठ के सचिव श्री व्ही. टोप्पो ने कार्यषाला के प्रतिभागियों को महिलाओं के प्रति होने वाले घरेलू हिंसा सहित सभी प्रकार के उत्पीड़न के बारे में बताते हुए कानूनी प्रावधानों का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया। उन्होंने दण्ड विधि संषोधन अधिनियम 2013 की बारीकियों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया। कार्यषाला की शुरूआत मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। कार्यषाला के अतिथियों को जिला प्रषासन द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर आयोग की सचिव श्रीमती जगरानी एक्का, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आर. एक्का सहित संभागान्तर्गत आने वाले जिलों के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में महिला प्रतिभागी उपस्थित थे।