बेटी बचाओ-बेटी पढाओ जैसे नारों पर सवाल खड़ी करती एक बेटी की कहानी…

@Deshdeepakgupta

अम्बिकापुर सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढाओ के नारे पर सवालिया निशान लगाती सरगुजा की बेटी कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है.. दरअसल छतीसगढ़ के सरगुजा में रहने वाली महज बारह वर्ष की बच्ची प्रज्ञा मिश्रा ने बास्केट बाल के खेल में मुकाम हासिल किया है.. स्कूल गेम्स आफ इंडिया ने प्रज्ञा का चयन आस्ट्रेलिया में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए सेलेक्ट किया है.. जाहिर है की यह जिले ही नहीं बल्की पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है लेकिन लगातार दो वर्षो से सेलेक्ट हो रही प्रज्ञा के रास्ते कांटो से भरे है..

अंबिकापुर के जुबली मेमोरियल स्कूल में कक्षा बारहवीं में बढ़ने वाली प्रज्ञा मिश्रा का चयन आस्ट्रेलिया में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है.. यह समाचार बड़ा ही सुखद है.. हर किसी की छाती चौड़ी करने वाला है.. और जाहिर है की खुद प्रज्ञा और उसके परिवार के लिए भी यह खबर अच्छी है.. लेकिन साधारण परिवार के प्रज्ञा के पिता के लिए अपनी बेटी को आस्ट्रेलिया भेजना इतना आसान नहीं है.. उन्हें आर्थिक संकट सता रहा है.. बहरहाल प्रज्ञा के पिता ने प्रज्ञा को आस्ट्रेलिया भेजने के लिए अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया है.. लेकिन बैनर पोस्टर और भाषण में बेटे बचाओ बेटी पढाओ के नारों पर छाती पीटने वाले नेता,शासन या प्रशासन किसी ने भी इस बेटी को आगे बढ़ने के लिए दरियादिली नहीं दिखाई है..

सरगुजा बास्केटबाल संघ के कोच राजेश प्रताप सिंह ने प्रज्ञा को संघ के द्वारा निशुल्क ट्रेनिग दी है और उसी ट्रेनिग के बूते आज सरगुजा की ये बेटी पूरे विश्व में सरगुजा का नाम रोशन करने लायक बन चुकी है.. वही बास्केट बाल संघ प्रज्ञा पर होने वाले खर्च को लेकर भी कई प्रयास कर रहा है.. बड़ी बात यह है की प्रज्ञा इतनी होनहार खिलाड़ी है की पिछले वर्ष भी उसका चयन अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ था.. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह प्रज्ञा नहीं जा सकी थी लेकिन इस वर्ष उसके पिता ने कर्ज करके ही सही पर अपनी बेटी को अन्तराष्ट्रीय पटल तक भेजने का मन बना लिया है, लेकिन सरकारी योजनाये अगर कागज़ और भाषणों से उतरकर धरातल पर आ जाए तो प्रज्ञा की रह आसान जरूर हो सकती है..