बीमार पत्नी के स्ट्रेचर को पति और दो छोटे बच्चो ने धकेलकर पहुचाया आपातकालीन कक्ष तक

  • जिला हॉस्पिटल का चौकाने वाला नजारा, परिजन खींच रहे स्ट्रेचर, स्टाफ को नही मरीजों की परवाह
  • 150 का स्टाफ, समय पर नही होते उपलब्ध, जिला हास्पिटल में भारी अव्यवस्था
  • मुख्य चिकित्सा अधिकारी और हॉस्पिटल इनचार्ज ने स्वीकारी चूक कही सूधार की बात
जांजगीर-चांपा संजय यादव  
जिले के जिला हास्पिटल में पति के स्ट्रेचर खींचने और बच्चों के धक्का लगाने की तस्वीर आप रोज देख सकते हैं व्यवस्था पर उंगली उठाने के लिए काफी है मगर यहॉ यह हर रोज की समस्या है वही भी ऐसी स्थिति में जबकि यहॉ लगभग डेढ़ सौ का स्टाफ है जिसमें से 15 वार्ड ब्याव है जिन्हे तनख़्वाह ही इस बात की मिलती है कि वे मरीजों को होने वाली परेशानी को रोकें। ऐसी हालात में यहां कई सवाल खड़े कर रही है और स्वास्थ्य विभाग के सरमायेदार गलती भी स्वाकार कर रहे हैं तो सुधार क्यों नही होता यह एक बड़ा सवाल है जांजगीर-चांपा जिले की आबादी 17 लाख को पार कर रही है मगर स्वास्थ्य सुविधाएं निम्न स्तर की है और इसका उदाहरण अक्सर देखने को भी मिलता है। आज सुबह एक पति अपनी बीमार पत्नी को स्टेचर में लिटाकर हॉस्पिटल के आपात काल कक्ष में ले जा रहे था। स्ट्रेचर को उसके दो बच्चे धक्का दे रहे थे। किसी ने यह तस्वीर मीडिया तक पहुँचाई मगर इस तरह का नजारा जिला अस्पताल में आम बात है। बात यही खत्म नही होती है शनिवार की रात ब्लड बैंक का फ्रिज खुला रह गया जिसकी वजह से लगभग डेढ़ दर्जन युनिट ब्लड खराब हो गया। हास्पिटल में न तो खाने के मिनू का पालन होता है ना साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है। मृतकों का शव अक्सर खुले में पड़े रहते हैं ऐन वक्त पर मरचूरी में ताला लगाकर स्टाफ नदारद रहता है। ऐसा नही है कि बात अधिकारियों तक नही पहुॅचती है शिकायतों के बावजूद विभाग के अधिकारी चुप्पी साधते हैं क्योंकि उन्हे अपनी  निजी प्रेक्टिस भी चलानी होती है। इस हालिया मामले को लेकर जब विभाग के प्रमुखों से सवाल किये गये तो उन्होंने चूक स्वीकारी और व्यवस्था बहाली तथा कार्यवाई की बात भी कही इसके बावजूद सबकुछ सवालों के घेरे में है।

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