पूरे विपक्ष को समाप्त करने की साजिश तो सिर्फ छत्तीसगढ़ में रची गयी

धोखेबाजी का ऐसा उदाहरण भी तो पूरे देश में नहीं दिखता

रायपुर 29 अक्टूबर 2014

मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह द्वारा दिया गया बयान जो देष में नहीं होता वह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस करती है पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी का धोखाधड़ी का इहिहास ही कुछ ऐसा है कि कांग्रेस को कड़े कदम उठाना पड़ता है। पूरे देष में ऐसा सिर्फ छत्तीसगढ़ में रमन राज में हुआ है कि पूरे विपक्ष को समाप्त करने का षड़यंत्र किया गया घोर नक्सल क्षेत्र में भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को सुरक्षा नहीं दी गयी, वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 31 लोगो को शहीद होना पड़ा। पूरे देष में ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई राजनैतिक दल अपने घोषणा पत्र के वायदों को सिरे से नकार दे। छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा एक बार नहीं तीन बार किया है। चुनाव के पहले किसानो से धान पर बोनस देने की बातें की जाती है, धान का समर्थन मूल्य 2100 रू. प्रतिक्ंिवटल किये जाने की बाते कही जाती है, किसानों की बिजली के दाम कटौती की बाते होती, किसानों के एक-एक दाना धान खरीदी का वचन दिया जाता है चुनाव के बाद सारे वायदों को सिरे से नकार दिया जाता है, धान खरीदी पर प्रति एकड़ 10 क्विंटल की बंदिषे लगा दी जाती है। पूरे देष में ऐसा सिर्फ रमन राज में ही होता है कि विधानसभा चुनावों के ठीक पहले प्रदेष में गरीब राषन कार्डधारियों की संख्या लाखों में बढ़ती है और चुनाव के बाद सरकार बनने पर इन गरीबों को राषन देने से बचने के लिये राषन कार्डो को निरस्त करने का षड़यंत्र सरकार द्वारा रचा जाता है। पूरे देष में ऐसा सिर्फ छत्तीसगढ़ में होता है स्मार्ट कार्ड के पैसे हड़पने ईलाज के नाम पर महिलाओं के गर्भाषय निकाल लिये जाते है। रमन सिंह भूल रहे हैं, सरकार नेत्र षिविरों में नकली दवाओं के कारण गरीबों के आंखों की रोषनी सिर्फ छत्तीसगढ़ के बालोद, कवर्धा, धमतरी, बागबाहरा में गयी थी। कड़कड़ाती ठंड में गरीबों के आषियाने छत्तीसगढ़ की राजधानी डंगनिया में रमन राज में तोड़े गये थे। खेतों की सिंचाई के बांध उद्योगों को सिर्फ छत्तीसगढ़ में बेचे जाते हैं। स्थानीय उद्योगों के नाम पर कोल ब्लाक आबंटन करवा कर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के करीबियों को सिर्फ छत्तीसगढ़ में दिया गया। प्रजातांत्रिक मूल्यों की दुहाई देने के पहले मुख्यमंत्री को आत्म अवलोकन करना चाहिये कि उनकी सरकार ने पिछले वर्षों में कांग्रेस शासित स्थानीय निकायों में कितना भेदभाव किया है। तत्कालीन प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष स्व. नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को इस भेदभाव के खिलाफ राजभवन तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।