देखिये साहब 14 साल में आपके नुमाइंदों ने कुछ यूँ किया है विकास..!

@Krishnmohan

बलरामपुर  छत्तीसगढ़ के बलरामपुर क्षेत्र में, स्वच्छ पेयजल की कमी के कारण निवासियों में कई स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत है। ‘रेड वॉटर’ यही है कि निवासियों को गांव में हैण्डपम्पों के माध्यम से मिल रहा है, और ग्रामीणों का दावा है कि वे कई त्वचा रोगों और  पेट दर्द से पीड़ित हैं।

प्यास बुझाने लाल पानी है..साहब

दूषित पानी की वजह से, बलरामपुर के सामरीपाठ के अमटाही गांव के निवासियों को हर्पीज और खुजली जैसे कई स्वास्थ्य मुद्दों की शिकायत  हैं। यह जानने के बावजूद कि पानी असुरक्षित है, ये ग्रामीण अभी भी इसी पानी को पीते हैं। उनके लिए, इस लाल पानी को पीने के अलावा  कोई अन्य विकल्प नहीं है जिससे कि उनकी प्यास बुझ सके।

सरकार के दावों को झुठला रहा.. अमटाही गाँव 

सरकार एक ओर तो राज्य में विकास की डंका बजाकर “14 बरस विकास के ” त्योहार मना रही है,तो वही दूसरी ओर दूरस्थ और सीमावर्ती जिले से निकलकर आ रही यह तस्वीर राज्य सरकार के विकास के मायनो को झुठला कर रख देती है। आपको बता दे कि  वनांचल सामरी पाठ वह इलाका है,जहाँ बॉक्साइट की खदाने है,और यही वजह है कि ,वहाँ हैंडपंपो से निकलने वाली पानी लाल रंग की होती है,ग्रामीण स्वच्छ पेयजल के लिए इधर उधर भटकते है,और उन्हें नाले का पानी मजबूरी वश पीना पड़ता है।

नाले के पानी से गुजारा आखिर कब तक..?

किसी भी प्रकार की राहत नही मिलने से  ग्रामीण महिलाएं नाराज हैं। उन्हें खाना पकाने, बर्तन धोने से लेकर रोजाना उपयोग के लिए  इस दूषित पानी के कारण, उन्हें नाले की पानी के लिए  खेतो से गुजरकर पैदल ही एक किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर ,बुनियादी जरूरतों के लिए स्वच्छ पानी लेने जाया करती है।
अब महिलाएं इलाके की हैंडपंप में फिल्टर प्लांट लगाने के लिए अधिकारियों से आग्रह कर रही हैं, जिससे की उनकी परेशानियों का अंत हो सके।

विश्लेषण के लिए भेजेंगे नमूना-कुजूर

ग्रामीणों के इस मुद्दे की शिकायत के बाद, अब कुसमी एसडीएम बी कुजूर  ने विश्लेषण के लिए पानी के नमूने के लेने के आदेश दे दिए है। हालांकि, यह देखा जाना शेष है कि जांच में कितना समय लगेगा और उसके बाद प्रशासनिक दृष्टिकोण से क्या कार्रवाई की जाएगी?