दिग्विजय की बयानबाजी नक्सलियों के एजेंट जैसी : कौशिक

रायपुर
भाजपा प्रदेश कार्यालय एकात्म परिसर में शनिवार को आयोजित पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के खिलाफ राष्ट्रदोह का मामला दर्ज करने की मांग की। साथ ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष से आतंकवाद, अलगाववाद और नक्सलवाद के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने कहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा पर सबसे बड़ी चुनौती वामपंथ उग्रवाद से ज्यादा प्रभावित है छत्तीसगढ़। प्रदेश की भाजपा सरकार अपनी पूरी ताकत से इस संकट से निजात पाने कोशिश कर रही है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी इस समस्या से निपटने के प्रति गंभीर है।
श्री कौशिक ने कहा कि एक दुखद और निन्दनीय घटना में प्रदेश के सुकमा जिले में सीआरपीएफ के हमारे 14 जवान शहीद हुए। भाजपा उनकी शहादत को प्रणाम करती है और नक्सल समस्या के उन्मूलन के प्रति अपनी प्रतिबद्घता व्यक्त करती है। भाजपा यह भरोसा दिलाती है कि अपने जाबांज शहीदों की शहादत को वह व्यर्थ नहीं जाने देगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने झारखंड में स्पष्ट तौर पर कांग्रेस के मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर नक्सलियों से ये अपील की है कि वे कांग्रेस का समर्थन कर भाजपा को हराने में अपनी भूमिका निभाएं। हम उनके इस बयान की कड़ी निन्दा करते है।
श्री कौशिक ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब दिग्विजय सिंह ने ऐसा बयान दिया हो, अगर बीते दिनों पर आप नजर डालेंगे तो सीमा पार आतंक से लेकर आंतरिक सुरक्षा संबंधी संकट पर हमेशा दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के कई नेता का बयान देशद्रोह की श्रेणी में आता है। झीरम घाटी हमले के समय दिग्विजय सिंह ने नक्सलियों को आतंकवादी के बदले भ्रमित विचारक कहा था। वाम उग्रवादियों के मुद्दे को वास्तविक और प्रासंगिक कहा था। यहां तक की उन्हें जनता का प्रतिनिधि ही कहा था। एक तरफ जहां खुद कांग्रेस इस समस्या को आंतरकि सुरक्षा पर सबसे बड़ा खतरा मानती है वहीं इस सामाजिक आर्थिक समस्या मानता हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता दिग्विजय सिंह का नक्सलियों के प्रति इस तरह बयान आता है और सत्ता पाने वे नक्सलियों से सहयोग मांग रहे हैं ताकि भाजपा को हरा सके।
उन्होंने कहा दिग्विजय सिंह का सपना कभी पूरा नहीं होने वाला बल्कि झारखंड में भाजपा सरकार बनने जा रही है। कांग्रेस की चाल -चेहरा और चरित्र जनता के सामने उजागर हो चुका है। छत्तीसगढ़ में सुकमा में नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीदों के प्रति प्रदेश कांग्रेस के नेता घडिय़ाली आंसू बहा रहे हैं। कांग्रेस के नेता दोमुंही बातें कर रहे हैं। यही नहीं बल्कि कांग्रेस के नेता हमारे सैनिकों का मनोबल तोडऩे और शहीदों के परिजनों का अपमान कर रहे हैं। शहीदों की शहादत को मजाक बना रहे हैं। कायदे से कांग्रेस को केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में साथ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा का स्पष्ट मानना है कि जो भी वामपंथी उग्रवादी समाज की मुख्यधारा से जुडऩा चाहें उन्हें सरकार पूरी मदद करेगी। साथ ही आतंक के रास्ते पर अड़े रहगने वाले उग्रवादियों से सख्ती से निपटने के प्रति शासन प्रतिबद्घ है। आत्मसमर्पित वाम उग्रवादियों के पुनर्वास आदि के लिये बनाए गए नीतियों और दूसरी ओर उनके खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई का नतीजा पिछले दिनों लगातार देखने में आया था जब बड़ी संख्या में उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इस आत्मसमर्पण से वाम उग्रवादियों की बुनियाद हिल गई थी। उसी बौखलाहट में एक बार फिर उग्रवादी पिछले दिनों एक बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल रहे लेकिन बावजूद इसके भाजपा इस बात के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर जल्द से जल्द इस समस्या से छत्तीसगढ़ समेत समूचे देश को मुक्त करा कर ही दम लेंगे।
उन्होंने कहा कि वास्तव में छत्तीसगढ़ का जन्म ही पिछड़ेपन की पीड़ा से हुआ है। उस पिछड़ेपन को बढ़ाने में दिग्विजय सिंह की प्रमुख भूमिका रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह ने योजनाबद्घ रूप से छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सम्पदा का दोहन किया। उसके बदले में इसे कुछ नहीं दिया। श्री दिग्विजय  सिंह का सात वर्षों का कार्यकाल छत्तीसगढ़ के इतिहास में ‘काला युगÓ माना जाता है। उस दौर में उनके राज्य में बस्तर को मध्यप्रदेश का ‘काला पानीÓ की संज्ञा दी जाती है। उसी समय जानकारी मिलती रही थी कि नक्सली धीरे-धीरे  अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं। पुष्ट संकेत मिल रहे थे कि नक्सली उपस्थित हैं वहां वे अपना आधार मजबूत कर रहे हैं और साथ ही नये क्षेत्रों में भी पैर पसार रहे हैं परन्तु दिग्विजय सिंह सरकार नींद में पड़ी रही।
श्री कौशिक ने दिग्विजय से यह भी सवाल किया है कि दिसंबर 1999 में जब बालाघाट में नक्सलियों ने मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री श्री लिखीराम कांवरे को हत्या कर दी थी तो उस समय मुख्यमंत्री कौन था? 1998 में श्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में बस्तर क्षेत्र की 12 में से 11 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती तो क्या तब अपने उक्त वक्तव्य के माध्यम से श्री दिग्विजय सिंह ने बस्तर क्षेत्र में कांग्रेस को मिली भारी सफलता का रहस्य उद्घाटित किया है। हाल के सुकमा, झीरम घाटी की घटना समेत सभी ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यजनक है। ऐसी वारदातें लोकतंत्र को कलंकित करती है। सिर्फ निंदा और निदंा होनी चाहिए। इस घटना में कांग्रेस ने अपने महत्वपूर्ण नेताओं को खोया है। भाजपा के भी सौ से अधिक कार्यकर्ता- नेता नक्सल हमलों में अभी तक शहीद हुए हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को मिलजुल कर सख्ती के साथ नक्सल समस्या से निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन कांग्रेस इस मामले में भी दोहरा चेहरा दिखा रही है। कांग्रेस का कोई नेता नक्सलियों को भाई बता रहा है तो कोई भटके हुए युवक, तो कोई इन्हें लोकतंत्र का दुश्मन बता रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि नक्सलियों का उन्मूलन होने पर सरकार उस मद की राशि का उपयोग नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्र के विकास के रूप में खर्च किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में श्री कौशिक ने कहा कि भाजपा सरकार कोई उत्सव नहीं मना रही है। साहित्योत्सव का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था इसलिए उसका आयोजन किया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अमित शाह का सांइस कॉलेज का कार्यक्रम भाजपा के सदस्यता अभियान को लेकर है। इसमें कोई तामझाम नहीं होगा। श्री शाह भाजपा के कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए सदस्यता अभियान को सफल बनाने के टिप्स देंगे। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है अतिशीघ्र ही पार्टी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।