गर्मी का कहर, 55 दिनों में पहुंचे 29 हजार मरीज

सबसे ज्यादा देखने को मिली बीमार बच्चों की संख्या

 

अम्बिकापुर- दीपक सराठे 

 

तापमान जहां 41 व 42 डिग्री तक पहुंच गया है, वहीं इस भीषण गर्मी का कहर लगभग हर घरों में देखने को मिल रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देखा जा सकता है। ओपीडी के समय मरीजों की संख्या इतनी रहती है कि घंटों लम्बी लाईन में लोग खड़े रहते हैं। खास तौर पर बच्चा वार्ड में इस गर्मी से बढ़ी बीमारियों की संख्या देखी जा सकती है। पिछले 55 दिनों में जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में 28 हजार 617 मरीज पहुंच चुके हैं, जिसमें 5584 गंभीर मरीजों को दाखिल भी किया जा चुका है। हालांकि इनमें से कई मरीज सर्जिकल के भी हैं, परंतु ज्यादातर मरीज वायरल बुखार, सर्दी व उल्टी दस्त के देखने को मिल रहे हैं।

 

अप्रैल में लगातार पखवाड़े भर से पारा 41 डिग्री से ऊपर आकर रूका हुआ है। लगभग 42 डिग्री तक पारा करीब पहुंच चुका है। इस भीषण गर्मी ने लोगों को हलाकान परेशान कर रखा है। खास तौर पर बच्चो में इसका खासा असर देखा जा रहा है। जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज की बात करें तो मार्च माह भर में 443 बच्चों को दाखिल किया गया था, वहीं मई में अब तक 340 बच्चे दाखिल हो चुके हैं। यह आंकड़ा सिर्फ मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है। इसके अलावा चिकित्सकों की निजी सेंटरों में बच्चों को दिखाने परिजनों को काफी भीड़ देखी जा रही है। बच्चों के अलावा बड़ो को भी इस गर्मी ने परेशान कर रखा है। दोपहर की चिलचिलाती धूप में अपने काम से निकले लोग किसी तरह धूप से बचने उपाय कर रहे हैं। घरों के अंदर भी कूलर व पंखे जवाब दे चुके हैं। गर्म हवा के थपेड़ो ने लोगों को थका दिया है। गर्मी के इन दिनों में वायर बुखार को लेकर बच्चों की बढ़ी संख्या साफ देखी जा रही है। जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों को जमीन पर लिटा कर उपचार किया जा रहा है। सारे बिस्तर लगभग भर चुके हैं। जमीन में भी गलियारे में मरीज भरे पड़े हैं। मौसमी बीमारियों को देखते हुये कुछ खास व्यवस्था मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं की गई है। जहां कूलर की आवश्यकता है वहां नहीं है।

गानो से दिला रहे मरीजों को राहत-

मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल मेें आज से नई व्यवस्था शुरू की गई है। गलियारों व वार्डों के सामने साउंड बॉक्स लगाकर धीमी आवाज में गानों से मरीजों को राहत दिलाने का काम किया जा रहा है। मरीजों को ऐसा न लगे व अस्पताल में हैं। इस कारण से ऐसी व्यवस्था प्रारंभ की गई है। इस साउंड बॉक्स के जरिए प्रबंधन समय≤ पर नर्सों व कर्मचारियों को चेम्बर मेें बैठकर ही निर्देशित कर सकेगा।