कृषि दर्शिका 2014’ का राज्यपाल द्वारा विमोचन

 राज्यपाल श्री शेखर दत्त नेे आज यहां राजभवन में इंदिरा गांधी कृषि विष्वविद्यालय, रायपुर द्वारा प्रकाषित किसानों के लिए उपयोगी मार्गदर्शक पुस्तिका ‘कृषि दर्शिका 2014’ का विमोचन किया। इस पुस्तिका में छत्तीसगढ़ राज्य के विशेष संदर्भ में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और मत्स्य पालन संबंधी किसानोपयागों महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रदेष के सभी नागरिकों और विषेषकर किसानों को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उनके सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।

रायपुर, 01 जनवरी 2014

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विमाचेन के इस इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विष्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल, संचालक विस्तार सेवाएं डॉ. जे.एस. उरकुरकर, कृषि दर्शिका के संपादक डॉ. के.एल. नन्देहा, ए.टी. मैनेजर डॉ. एस.एस. टुटेजा, समन्वय अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा उपस्थित थे। राज्यपाल ने कृषि दर्शिका के विमोचन के उपरंात आषा व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि विष्वविद्यालय द्वारा प्रकाषित यह किताब किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा और इसके माध्यम से वे खेती और किसानी संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर सकेंगे। उन्होंने ऐसे प्रकाशनों को ज्यादा से ज्यादा उपयोगी और सार्थक बनाने के लिए इसमें प्री-हार्वेस्ट और पोस्ट हार्वेस्ट संबंधी जानकारियों को बढ़ाने के निर्देश दिये, साथ ही ऐसी जानकारी भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये जिससे किसान फसलों से संबंधित विशेषताओं, उनके वेल्यू एडिशन उत्पादों तथा मार्केट की जानकारी प्राप्त कर सकें। राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे अपने आप को बीजापुर, नारायणपुर, सरगुजा या सुरजपुर का किसान के रूप में रखके देखे तो यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि दरअसल वहां के किसानों को अपनी फसल तथा उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किस प्रकार की जानकारी या मद्द की जरूरत है। उन्होंने इस संबंध में किसानों से नियमित रूप से वार्तालाप करने, उनसे फीडबेक लेने तथा राऊंड टेबल के रूप में बातचीत करने पर बल दिया।
राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि मध्यप्रदेश के मुरैना क्षेत्र के किसानों के आय में एकाएक तेज वृद्धि हुई है। इसका कारण ग्वार फल्ली की फसल लेना है। परम्परागत रूप से यह फसल पशु चारे के रूप में उपयोग में आती है लेकिन हाल ही इसका उपयोग क्रूड आइल के उत्पादन में किया जाने लगा है। इससे वहां के किसानों को प्रति क्विटल 30 हजार रूपए की कीमत मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस कारण यहां के खेतों के दाम दो करोड़ रूपए हो गए हैं। उन्होेंने कहा किसानों को ऐसे आधुनिक ट्रेंड, मार्केट, फसल के अन्य उत्पादों एवं गुणों की जानकारी देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा बस्तर की ईमली और आंवले जैसे विभिन्न फसलों के उत्पादों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों को समृद्ध बनाया जा सकता है। उन्होंने इन जानकारियों के प्रसार के लिए इसके लिए इलेक्ट्रिानिक एवं प्रिंट संचार माध्यमों के उपयोग करने पर भी बल दिया।
कार्यक्रम में विष्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने राज्यपाल को कृषि पंचांग की प्रति भी भेंट की और बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज सुबह इसका विमोचन किया है। यह पंचांग विष्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अनुभवी प्राध्यापकों एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है। इसमें वर्ष के हर माह में ली जाने वाली फसल, फल, सब्जी एवं उद्यानिकी के संबंध में कृषि के लिए बहुपयोगी सलाह दी गई है।