काम की गारंटी है पर मजदूरी की नहीं… 2 साल से नहीं हुआ मजदूरी भुगतान…

बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार) जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का इन दिनों बहुत ही बुरा हाल है,ग्रामीण मजदूर मनरेगा के विकास कार्यो में कार्य कर अपने ही मजदूरी भुगतान की राशि के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है,एक ऐसा ही मामला वाड्रफनगर के ग्राम मोहली में सामने आया है,जहाँ के सैकड़ो ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा में कराए गए विकास कार्यो का मजदूरी भुगतान 2 बरस बीत जाने के बावजूद नही किया गया है,और ये ग्रामीण मजदूर जिले के मुखिया के दरबार मे फरियादी बनकर पहुँचे थे,जिन्हें कलेक्टर साहब ने मजदूरी भुगतान जल्द कराने का भरोसा दिलाया है,वही इन ग्रामीणों का मनरेगा से मोह भंग होने लगा है।

मेहनत की कमाई के लिए भटक रहे मजदूर

दरसल बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लाक के ग्राम मोहली में बीते 2 वर्ष पुर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से तालाब निर्माण,बोल्डर चेक डेम,आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कराया गया था,लेकिन ग्रामीणों का आरोप है,की उन्हें उनकी मेहनत की कमाई यानी मजदूरी भुगतान की राशि अब तक नही मिल पाई है,ग्रामीण मजदूरों  का कहना है कि वे मजदूरी भुगतान की राशि के लिए कई बार पंचायत स्तर के कर्मचारियों से लेकर ब्लाक आफिसर तक चक्कर काट चुके है,बावजूद इसके उन्हें उनकी मजदूरी का भुगतान आज तक नही हो पाया है।

सरकार की महती योजना पर लगा बट्टा

जिले के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम मोहली में शासन ने बीते दो वर्षों में दर्जन भर से अधिक विकास कार्यो की स्वीकृति प्रदान की थी,और इन तमाम विकास कार्यो को मनरेगा के तहत कराया जाना था,और हुआ भी ऐसा ही,लेकिन इन तमाम विकास कार्यो से जुड़कर अपना जीविकोपार्जन का सपना देखने वाले ग्रामीणों के सपने पर तब पानी फिर गया जब इन्हें अपने हक के पैसों के लिए ही आज मोहताज होना पड़ रहा है।

काम की गारंटी है,पर मेहनताने की नही

सरकार ने ग्रामीण बेरोजगार मजदूरों को मजदूरी की तलाश में भटकना ना पड़े यह सोच कर गाव में ही 100 दिन के काम गारंटी के साथ ही इस महती योजना महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की थी,और ग्रामीण मजदूरों के चेहरे खिल उठे थे,इन मजदूरों को काम की गारंटी तो मिली लेकिन उसके एवज में मिलने वाला मेहनताना उन्हें नही मिल पा रहा है,गाव में आलम तो ऐसा है कि मनरेगा में मजदूरी किये कई मजदूरों का स्वर्गवास भी हो गया,लेकिन उनकी मजदूरी का भुगतान उन्हें नही हुआ।

सरकारी आंकड़ा हो गया फेल

वही सरकारी फाईलो में कैद आकड़ो की बात करे तो वर्ष 2016 तक के मनरेगा के कार्यो में मजदूरी भुगतान कर दिया गया है,और गौर करने वाली बात यह है कि ,शत प्रतिशत मजदूरी भुगतान यदि हो गया होता तो ये ग्रामीण मजदूर भूखे प्यासे मजदूरी भुगतान के लिए दर दर क्यो भटकते? बहरहाल कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने इन मजदूरों को इनकी मजदूरी भुगतान कराने का भरोसा दिया है