कोरिया से सोमेश पटेल की धार्मिक पडताल………..
- दूर से नही दिखता है मंदिर
- मंदिर के साथ सीता मढ़ी गुफा भी है महत्व
- मंदिर मे पाषाण कला का बेहतरीन कला देखने को मिलती है
- मान्यता के मुताबिक भगवान राम ने रातो रात बनाया था मंदिर
कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग ८५ किलोमीटर दूरस्थ ग्रामीण अंचल में बसे रामगढ इलाके के गांगीरानी मंदिर का जो आदि अनंतकाल समय से अपनी ख्याति और सुन्दरता के लिए जाना जाता है मंदिर को एक ही रात में बनाया गया था और तो और यह मंदिर सिर्फ पत्थरों को तरास कर बनाया गया है वो भी बिलकुल जमीनी सतह पर.. दूर से देखने पर इस स्थान में मंदिर नहीं दिखाई देता है…….. इस मंदिर में विराजमान माता की महिमा अपरमपार है और दूर दूर से अपनी मुरादो को लेकर आने वाले भक्तो की हर परेशानिया माँ के दरबार में आकर पूरी होती है ।
जिला मुख्यालय से लगभग ८५ किलोमीटर दूरस्थ ग्रामीण अंचल में बसे रामगड इलाके का गांगीरानी मंदिर की भी कई आजिबो गरीब कहनिया गावो में फैली हुई है गाव का कोई भी व्यक्ति नहीं जनता की आखिर ये मंदिर किसने और कब बनाया पर उसके वावजूद अपने बड़े बुजुर्गो के बताये अनुसार पूछने पर कई तरह की कहनिया लोगो के सामने परोसते दिखाई पड़ते है ।
स्थानीय लोगो का मानना है की मंदिर एक ही रात में बनाया गया है और भगवान राम अपने वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इस मंदिर में कई दिनों तक रुके रहे तो कुछ का यह भी मानना है की प्रभु राम ने ही इस मंदिर को रातो रात बनाया था कुछ का यह भी मानना है की इस गावं में एक रानी रहा करती थी जिसके भसुर ने उसे घर से भगा दिया और वह इस स्थान में आकर गुफा बना रहने लगी पर जब उसके भसुर को यह पाता चला तो वह यहाँ से भाग गई यह सिलसिला वर्षो तक चला और वह रानी ने इस इलाके में भागमभाग कर कई जगह गुफा बना छोड़े है हलांकि इस बात के प्रमाण के तौर पर इसी क्षेत्र में ही गान्गिरानी मंदिर से थोड़ी ही दुरी पर सीता मढ़ी नाम की एक गुफनुमी मंदिर और भी है जो देखने में काफी आकर्षक है जहाँ भगवान शंकर की मूर्ति स्थापित है चुकी वह मंदिर भी चट्टानों को तरास कर बनाया गया है इसलिय भी गान्गिरानी मंदिर की तरह मंदिर के भीतरी भाग और अंदर कहाँ तक फैला होगा इस बात का अंदाजा लगाना मुश्कील होगा ।
ग्रामीण अंचल में बसे रामगड इलाके के गांगीरानी मंदिर का जो आदि अनंतकाल समय से अपनी ख्याति और सुन्दरता के लिए जाना जाता है गंगीरानी मंदिर के निर्माण के बारे में बात करे तो यहाँ पाषाण कला का बेहतरीन कला देखने को मिलती है गान्गीरानी मंदिर सिर्फ पत्थरों से जमीन के बिलकुल बराबर सतह पर बनी है एक बड़े से भू खंड को तराश कर इसे स्वरूप प्रदान किया गया है जिसमे किसी भी प्रकार का ईट और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है ठीक इसी तरह मंदिर में विराजमान कई देवी देवताओं की आकृतिया उसी भू खंड नुमा चट्टान पर उकेरी गई है जो देखते ही बनता है इन प्राचीन मुर्तिया को इस अंदाज़ से उकेरा गया की वे अभी बोल उठेगी आदि अनंतकाल समय के कई एसे तराशे गए पत्थर जिनमे इस पाषाण कला का उदाहरण देखने को मिलता है जो काफी अदभुत है ।
किदंवती और मान्यता के बीच इस मंदिर के साथ सीता मढ़ी की गुफा का महत्व भी रामगढ में बहुत माना जाता है कहने को यहाँ राम भगवान ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मन के साथ कुछ दिन बिताये थे और यह गुफा भी एक ही पाषाण शिला को तराश कर बनाई गयी है जिसमे तीन द्वारो का भी निर्माण किया गया है जिसके अंदर जाने से तीन कमरे भी बने हुए है ग्रामीणों को आज तक नहीं मालूम यह गुफा कब बनी । इस मंदिर में ईट और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है मंदिर में कई देवी देवताओं के प्राचीन मुर्तिया है आदि अनंतकाल समय के कई एसे तराशे गए पत्थर इस मंदिर में है जिन्हें आज प्रशासन को सजोये रखने की जरुरत है वरना यह प्राचीनअवसेश बिलुत हो जायेंगे जिसका खामियाजा हम और हमारे जमाज को भुगतना पड़ सकताहै ।
गंगी रानी मंदिर में कला का अदभुत संगम तो है ही साथ ही देवी की महिमा के लिए भी यह मंदिर काफी मशहूर है चेत्र नवरात्र और रामनवमी के पावन अवसर पर यहाँ श्रदालुओ की भीड़ उमड़ती है जो अपनी अपनी मन की मुराद पूरी करने के लिए यहाँ आते है साथ ही मेले का आयोजन भी किया जाता है वही श्रद्धालुओ के लिए समिति के सदस्यों के द्वारा विशेष भंडरा प्रशाद का प्रबंध की किया जाता है साल में दो बार लगने वाले इस मेले में काफी भीड़ इकठी होती है जिसमे मुराद पूरी होने वाले लोग माँ को प्रश्न्न करने के लिए बलि भी चडाते है यु तो जिले में संस्क्रती व पुरातत्व विभाग छत्तिशगढ़ शासन द्वारा जिला पुरातत्व संग्रहालय को जिले में स्थापित किया है ताकि एसे जिले में बिखरे पड़े कई आदिकाल के पुरातत्व अवशेष को संग्रहालय में संजोया जा सके औए जो उसी स्थान में रखे जाने वाले पत्थर या की मुर्तिया है उसे यथावत रख उक्त स्थान को पर्यटक के रूप में विकसित किया जा सकेए पर एसा नहीं किया जा रहा है मात्र कहने औए दिखने भर के लिए जिला पुरातत्व संग्रहालय को स्थापित किया गया है इस कार्यालय को अभी तक नहीं खोला जा सका है और जैसा की आप तस्वीरों पर देख भी सकते है की किस तरह जिला पुरातत्व संग्रहालय अन्दर मवेशी चरवाही कर रहे है ।
बहरहाल ये बेहतर होगा की प्रशासन की निगाहे करम जल्द हो इस मंदिर की ओर वरना मंदिर और मंदिर में पड़े कई पुरातत्व अवशेष लुप्त हो जायेंगे ।
रामगढ के गांगी रानी मंदिर की बात करे या सीतामढ़ी गुफा की बात करे दोनों ही पुरात्तव विभाग के लिए नायब तोहफे है जिस तरह शिलाओ को काट कर एक पूरा मंदिर बना दिया गया वह वास्तव में अद्ययन का विषय है यहाँ दूरस्थ ग्रामीण अंचल मेहोने की वजह से इसके बारे में लोगो को कम ही पता है जिस वजह से आज तक यहाँ के लोग आधुनिकता से परे है साथ ही जनप्रतिनिधि में जागरूकता का आभाव होने से इस चेत्र का विकास नहीं हो पाया है और प्रशासन की भी इस ओर दिलचस्पी नहीं होने के कारन आज तक इस कला का लोकप्रियता फैल नहीं पाई है।