आंगनबाड़ी में फर्राटे मारकर बदहवास सोता है स्टाफ… कौन करेगा नौनिहालों की सुरक्षा..

आंगनबाड़ी केन्द्रों में लगा ताला तो कई जगहों पर सोकर गुजार रहे दिन

ऐसे में कैसे होगा आंगनबाड़ी का संचालन, आंगनबाड़ी के कार्यषैली पर उठ रहे सवाल

बैकुंठपुर  महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रो की हालत नाजुक सी है कुछ ऐसा ही दृष्य सामने आया कोरिया जिले के बैकुन्ठपुर विकासखण्ड के ग्राम रामपुर में। यहां हालत यह है कि ग्राम रामपुर पं में बच्चों की दर्ज संख्या 16 है और सिर्फ 5 बच्चे आ रहे है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका को इसकी कोई परवाह नहीं सोकर गुजार रहे है दिन, बच्चे राम भरोसे है।

विदित हो कि रामपुर पं में स्थित आगंनबाड़ी केन्द्र जिसकी संचालिका रेखारानी एवं सहायिका सुखमनिया बाई है। जिस केन्द्र में बच्चों की दर्ज संख्या 16 है इसके बावजूद बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रो में नहीं पहुंच रहे है जिसका कारण समय पर आंगनबाड़ी न खुलना व कार्यकर्ता व सहायिका की लापरवाही बताई जा रही है.. जिस कारण बच्चे आंगनबाड़ी के बजाये घर में ही रहना उचित समझ रहे है। आंगनबाड़ी का मुख्य उद्देष्य है बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को कुपोशण से मुक्ति दिलान का एक समुचित प्रयास निचले स्तर से किया जाता है.. किन्तु रामपुर पं गावं में पदस्थ कार्यकर्ता व सहायिका बिना इसकी परवाह किये कि बच्चें क्यों नहीं आ रहे है संख्या क्यों कम है इसकी सुध नहीं ली बल्कि आंगनबाड़ी केन्द्रो में आराम फरमाते नजर आयें।

वहीं इस सम्बन्ध में बच्चों ने बताया कि जब बच्चे ज्यादा आते है तो सहायिका भोजन बनाती है नही तो कम बच्चे में वह खाना भी नहीं बनता। षासन द्वारा दि जाने वाली रेडी टू ईट ही खिलाकर घर भेज दिया जाता है। वहीं स्थानीय कार्यकर्ता व सहायिका होने के कारण किसी ने भी अब तक कोई षिकायत नहीं कि। जिससे आये दिन यह स्थिति बनी रहती है व आंगनबाड़ी केन्द्रो में कार्यकर्ता व सहायिका आराम फरमाते नजर आते है। बहरहाल देखना अब यह होगा कि षासन द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ बच्चों व गर्भवती महिलाओं को ज्यादा-ज्यादा लोगों तक कैसे पहुंचाई जा सके इस पर क्या पहल की जाती है।