अदानी की स्कूल बस में भेड़ बकरियों की तरह ठुंसे जा रहे स्कूली बच्चे

अम्बिकापुर

उदयपुर से क्रांति रावत की रिपोर्ट 

जिले के उदयपुर ब्लाक में कोयला का दोहन करने वाली आदानी कंपनी के रोज नए कारनामे समाने आ रहे है,, ऐसे में आज एक ऐसा मामला तब सामने आया जब अदानी विद्या मंदिर के समीप ग्रामीण बेजा कब्जा हटाने को लेकर चक्का जाम पर बैठे थे। और अदानी की स्कूल बस बच्चो को भेड बकरियो की तरह लेकर जा रही थी। प्रशासन की ओर से ग्रामीणो को समझाईस देने पंहुचे तहसीलदार ने जब ये नजारा देखा तो उन्होने बच्चो को उतारकर संख्या कराई और खुसाला हुआ कि 50 सीटर बस में 150 स्कूली बच्चे बैठे थे। 

कोयला उत्खन्न क्षेत्र केते परसा से उदयपुर तक चलने वाली अदानी की स्कूल बस बच्चों की छुट्टियों के बाद बच्चों को लेकर वापस आ रही थी तभी स्कूल बस जाम स्थल साल्ही के अदानी विद्या मंदिर के पास पंहुची। और ग्रामीणो के साथ ही तहसीलदार की नजर भी बस पर पडी तोunnamed (15) तो उसमें भेड़ बकरियों की तरह ठुंसे हुये बच्चे नजर आये। बस में डेढ़ सौ से अधिक बच्चे भरे हुये थे। बैठने की बात तो दूर बस में बच्चों के खड़े होने की भी जगह नही थी। बच्चों को सांस लेने में भी परेषानी हो रही थी। विवषता है बस में आने की इसलिए जान जोखिम में डालकर स्कूल आना जाना पड़ता है।

बच्चों की स्थिति को देखकर तहसीलदार मिथलेष कुमार डोंडे एवं एएसआई संतोष सिंह हतप्रभ रह गये । बस के संचालक सोनसाय नेटी से पूछने पर बताया गया कि बस की क्षमता पचास लोगों की है । परंतु स्कूल आने जाने वाले बच्चों की संख्या 198 है जिनमें से 69 बच्चे साल्ही, 37 बच्चे षिवनगर, 43 बच्चे डांडगांव, 03 बच्चे बिषुनपुर, 03 बच्चे वनवासी सेवा आश्रम डांडगांव, 43 बच्चे उदयपुर के विद्यालयों में अध्ययन करते है । इन सभी के आने जाने के लिए बसों की संख्या पर्याप्त नही है। सभी बच्चों को समय पर विद्यालय भी पहुंचना आवष्यक है। इसलिए अंदर जगह नही बचने पर कुछ बच्चों को छत पर भी बैठाया जाता है।

प्रबंधन से इस संबंध में लगातार चर्चा किये जाने के बाद भी कोई पहल नही की गई है। अभी दस दिनों पूर्व हुये आंदोलन पर आष्वासन दिया गया था की समस्या को जल्द से जल्द सुलझा लिया जायेगा परंतु अभी तक इस संबंध में कोई पहल नही हुआ है। बस में सफर करने वाले बच्चे आषीष जो कि षिवनगर में पढ़ता है उसने बताया कि कुल दो सौ की संख्या में बच्चे भरे जाते है जिससे आने जाने में काफी परेषानी होती है। इसी तरह साधना एवं छात्राओं ने भी बस में आने जाने में होने वाली परेषानियों के बारे में बताया साथ ही यह भी बताया कि भीड़ की वजह से कई बच्चों के पैर भी कुचल जाते है।

इतनी खतरनाक स्थिति में स्कूली बस में बच्चों के आने जाने से दुर्घटना की आशंका लगातार बनी हुई है। अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? राजस्व एवं पुलिस अमला मौके पर मौजूद था परंतु अदानी में चलने वाली स्कूली बस के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई ।