गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार ये लोग हैं विशेष मेहमान, जानिए इनके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली. देश में गणतंत्र दिवस समारोह आज धूम-धाम से मनाया जा रहा है. मुख्य समारोह राजधानी दिल्ली के राजपथ पर आयोजित है. कोरोना प्रोटोकॉल के कारण इस बार समारोह में ज्यादा लोग भाग नहीं ले सकेंगे लेकिन इस बार विशेष मेहमानों की सूची में जिन लोगों का नाम है, वह सुनकर आपको गर्व का अहसास होगा. इस बार 565 लोगों को विशेष आमंत्रित अतिथि बनाया गया है जिनमें कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले 250 मजदूर, 115 सफाई कर्मचारी और 100 ऑटोरिक्शा ड्राइवर और 100 हेल्थवर्कर शामिल हैं.

73वें गणतंत्र दिवस में इस बार सीमित लोग ही मुख्य कार्यक्रम को देख सकेंगे. पुलिस की नई गाइडलाइन के मुताबिक परेड में सिर्फ उन्हीं लोगों को शामिल होने की अनुमति है जो अनिवार्य रूप से वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली है. ये हैं विशेष आमंत्रित अतिथि

अशोक कुमार, सफाई कर्मचारी

इस बार जिन लोगों को गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष आमंत्रित अतिथि बनाया गया है, उनमें 52 साल के सफाई कर्मचारी अशोक कुमार भी शामिल हैं. अशोक कुमार पिछले 25 साल से नई दिल्ली नगर निगम में सफाई कर्मचारी हैं. वे गाजियाबाद में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते हैं. हालांकि वे दिल्ली के कनॉट प्लेट पर काम करते हैं लेकिन आज तक कभी भी उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह नहीं देखा है.

अशोक ने कहा, ‘हमने कोविड की लहर में कठिन मेहनत की है. हमें जो कहा जाता है, हम वह ड्यूटी करते हैं. हम बिना रूके सफाई के काम में लगे रहते हैं. अशोक सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक काम करते हैं या कभी-कभी 2 बजे से रात के 10 बजे तक ड्यूटी में लगे रहते हैं. वे कहते हैं, भगवान की कृपा से ठीक ठाक ड्यूटी कर रहा हूं.’

अक्षय तांती, कंस्ट्रक्शन वर्कर

अक्षय तांती माल्दा, पश्चिम बंगाल के हैं और पिछले कुछ महीनों से राजधानी में बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में हेल्पर का काम कर रहे हैं. तांती ने कहा, मैं पिछले 50 दिनों से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में काम कर रहा हूं. इससे पहले मैंने वडोदरा में काम किया था.

उन्होंने कहा, ‘जब कोविड की पहली लहर आई थी तो अक्षय को अपने गांव जाना पड़ा था. बहुत दिनों तक बेरोजगारी में रहे. इस दौरान भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा. कभी-कभी उन्हें भोजन भी नसीब नहीं होता था. बारिश के समय में तो काम मिलना और भी मुश्किल हो गया था. किसी तरह वह अपना पेट पाल रहे थे. उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जिन्हें वे गांव भेज चुके हैं.’