“ग्रोथ हार्मोन डेफिशियंसी” बीमारी से ग्रसित रिजोन के परिजन मदद के लिए दर दर भटकने को मजबूर…आर्थिक सहयोग के लिए सरकार से लगाई गुहार…

@संजय यादव
जांजगीर चांपा। रिजोन टंडन उम्र 7 वर्ष पिता – अजय कुमार निवासी ग्राम धुरकोट, विकासखण्ड – डभरा , जिला सक्ती (छ.ग.) का निवासी है। बच्चा “Growth Hormone Deficiency” गंभीर बिमारी से ग्रस्त है, इनका इलाज 16 वर्षों तक चलेगा, जिसमे प्रतिवर्ष 1,00000/ एक लाख रुपये की आवश्यकता होगी, साथ ही बच्चे का उम्र जैसे जैसे आगे बढ़ेगा उसका खर्च भी बढ़ता जायेगा संभावित है. उनके परिजनों के पास इलाज के लिए पैसे नही है.इसलिए जिला प्रशासन से मदद के लिए गुहार लगाए है। हालाकि राज्य सरकार से उनके बच्चे की मदद के लिए मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान की राशि की स्वीकृति हो गई थी लेकिन अफसर शाही के चलते वह राशि बच्चों के परिजनों तक नहीं पहुंच पाई जिसके लिए वह दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार से उनके परिजनों ने मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द मदद दी जाए। इस बीमारी के वजह से बच्चों का लंबाई नहीं बढ़ पाता और बौनापन का शिकार हो जाता है .वही इसकी इलाज के लिए हर महीने हारमोंस का इंजेक्शन लगाना पड़ता है जिसके लिए काफी खर्च उठाने पड़ते हैं।

जिला अलग हो जाने के कारण नही मिली मदद…
बच्चे के पिता अजय कुमार का कहना है की सक्ति जिला जांजगीर चांपा जिला से अलग हुआ जिसके कारण उसकी राशि नहीं मिल पाया, हालांकि राज्य सरकार से 50 हजार की राशि स्वीकृत हो गया था लेकिन सक्ति जिला जांजगीर से अलग हो जाने के कारण नहीं मिल पाया अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

इस वजह से होती है यह बीमारी..
ग्रोथ हार्माेन की कमी तब हो सकती है जब पिट्यूटरी ग्रंथि बहुत कम ग्रोथ हार्माेन बनाती है. यह जेनेटिक डिसआर्डर, ब्रेन में गंभीर चोट लगने या पिट्यूटरी ग्रंथि के बिना पैदा होने के कारण भी हो सकता है. कभी-कभी, जीएचडी अन्य हार्माेन के निम्न स्तर से जुड़ा हो सकता है. कुछ मामलों में बौनेपन की क्यों हुआ? इसकी जानकारी नहीं हो पाती है.

जीएचडी को कहते बौनापन….
वृद्धि हार्माेन की कमी को जीएचडी कहा जाता है. ये बौनापन या पिट्यूटरी बौनापन भी कहा जाता है. बॉडी में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि हार्माेन की कमी के कारण ऐसा होता है. जीएचडी जन्म के समय उपस्थित हो सकता है या बाद में भी विकसित हो सकता है.

इलाज से दूर हो सकता है बौनापन…
जिन बच्चों में इस तरह की परेशानी का पता पहले चल जाता है. ऐसे बच्चे जल्दी इलाज मिलने पर बहुत अच्छी तरह से ठीक हो जाते हैं. जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के अनुसार, कुछ मामलों में उपचार में बाल चिकित्सा एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की देखरेख में सिंथेटिक ग्रोथ हार्माेन का उपयोग किया जाता है. यदि इलाज बीच में छोड़ दिया जाता है तो इससे बौनापन की समस्या पैदा हो सकती है.

ग्रोथ हार्माेन की कमी तब हो सकती है जब पिट्यूटरी ग्रंथि बहुत कम ग्रोथ हार्माेन बनाती है. यह जेनेटिक डिसआर्डर, ब्रेन में गंभीर चोट लगने या पिट्यूटरी ग्रंथि के बिना पैदा होने के कारण भी हो सकता है. कभी-कभी, जीएचडी अन्य हार्माेन के निम्न स्तर से जुड़ा हो सकता है.

डॉ आर. के. सिंह
सेवानिवृत्ति मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी जांजगीर चांपा