Exclusive: साहब कम से कम एक कुआ तो ढेंगुरपानी में खुदवा दीजिए!.. कागजो में तो कुएं की भरमार होगी?..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरुवा,घुरवा, बाड़ी पर फोकस करते हुए ..गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की मुहिम चला रही है..और इस योजना के तहत प्रदेश के गांवों की सर्वांगीण विकास की बाते कही जा रही है..यही नही हाल ही में सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने अपने कार्यालय का बजट भी पेश किया है..जिसका फोकस गांव, गरीब,किसान पर है..वही जिले के ढेंगुरपानी,अम्बाकोन की तस्वीर इन सबसे परे है..और सरकार के दावों की जमीनी हकीकत बया कर रही है..

दरअसल जिले के कुसमी ब्लाक मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत जिगनिया के आश्रित ग्राम ढेंगुरपानी और अम्बाकोना के ग्रामीणों की अपनी एक अलग ही परेशानी है..कहने को तो गांव में सरकारी स्कूल भी है..और आंगनबाड़ी भी है..और नही है तो पीने का स्वच्छ पानी..जिसको लेकर ग्रामीण कई बार प्रशासनिक अमले से गुहार लगा चुके है..लेकिन उनकी गुहार अबतक किसी ने नही सुनी है..

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गांव में पेयजल का एकमात्र ही ढोढ़ी साधन है..जिसका विकल्प के तौर पर ग्रामीण उपयोग करते है..ढोढ़ी के पानी से ही आंगनबाड़ी के बच्चों से लेकर मवेशियों तक की प्यास बुझती है..जिससे गम्भीर महामारी फैलने का खतरा बना रहता है..और दूषित पानी के सेवन का दुष्प्रभाव बच्चों में देखने को मिल रहा है..

लगभग 150 के आबादी वाले ढेंगुरपानी गांव के नाम मे पानी का तो शुमार है..लेकिन पीने का साफ पानी मिल पाना ग्रामीणों के लिए मयस्सर हो गया है..ग्रामीणों का आरोप है..जनप्रतिनिधि पांच साल में एक बार गांव आते है..और झूठे दावों और आश्वासन के साथ ग्रामीणों का वोंट बटोरने का जुगाड़ कर अपने रास्ते चलते बनते है..और उन्हें अब पानी की समस्या सताने लगी है..ग्रामीणों की निस्तारी का एकमात्र साधन गांव का ढोढ़ी ही है..जिसके सहारे वे अपनी दिनचर्या को ढाले हुए है..और आज भी पिछड़ेपन का शिकार होकर अपने जीवन का गुजर बसर कर रहे है..

वही जिला पंचायत सीईओ हरीश एस ने ग्रामीणों की इस समस्या से अनजान है..और साहब आश्वस्त करते दिखाई दे रहे है..की गर्मी से पहले वे ऐसे गाँवो को चिन्हित कर कुआ व हैंडपंप खुदवाने की योजना बना रहे है..जिसमे वे डेंगुरपानी को भी शामिल करेंगे..

बहरहाल जिला पंचायत सीईओ के आश्वासन से ऐसा प्रतीत तो हो रहा है..की वे ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर गम्भीर है..लेकिन अब देखना यह होगा..की साहब का आश्वासन धरातल पर कब उतरेगा..और उपलब्धि का सेहरा किसके सर बंधेगा!..