घाटी में पत्थर का जवाब ईंट से देंगे साधू-संत..सेना के सहयोग के लिए जाएगा संतो का समूह

दिल्ली 

घाटी में सैनिको पर चल रहे पत्थरो के विरोध में देश के साधू संत अब सेना के सहयोग के लिए घाटी रवाना होने की तैयारी में है. अब सेना पर फेंके गए पत्थर का जवाब ईंट से दिया जाएगा.  कश्मीर घाटी में भले ही भारतीय सेना के जवानों को पत्थरबाजों से निपटने में काफी मुश्किल हो रही हो लेकिन अब उनको इस समस्या से निजात दिलाने के लिए देश के संतों ने कमर कस ली है। दरअसल, कश्मीर में तैनात अर्धसैनिकबलों की सहायता के लिए देश के संतों ने पत्थर के साथ कश्मीर जाने का निर्णय लिया है। संतों की समूह ने अपनी इस लड़ाई की तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि संतों का ये समूह 7 मई को कश्मीर रवाना होगा।

मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर में हिंदूवादी संगठन जन सेना के करीब एक हजार संतों ने अर्धसैनिक बलों की सहायता के लिए कश्मीर जाने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि ये संत खाली हाथ नहीं बल्कि अपने साथ एक ट्रक भरकर पत्थर भी लेकर जा रहे हैं। संतों की इस मुहिम को युद्ध विजय यज्ञ नाम दिया गया है

जन सेना के संस्थापक बालयोगी चैतन्य महाराज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो और भी संत भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजाजत मांगी थी कि कश्मीर में हमें पत्थरबाजों से दो-दो हाथ कर जवानों का हौसला बढ़ाने दिया जाए लेकिन वो हमें नहीं मिली। जिला प्रशासन ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है लेकिन हम परिणामों की परवाह किए बगैर अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे।

वहीं जाजमऊ स्थित मंदिर के मुख्य पुजारी पुरी ने कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं। ऐसे लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए शहर से पत्थरबाजों की सेना तैयार की गई है।
संतों के इस अभियान की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। संतों के जाने के लिए 100 कारें और 3 बस बुक की गईं हैं। कई संत ट्रेन से भी यात्रा करेंगे जो 14 मई को कश्मीर पहुंचेगे। अर्धसैनिक बलों की मदद के लिए कश्मीर जाने वाले संतों को पत्थरबाजी की ट्रेनिंग दी जाएगी।