अब प्रत्याशीयों से चुनाव आयोग लेगा पाई- पाई का हिसाब…नतीजों का ऐलान होने के एक महीने के भीतर देना है खर्च का ब्योरा…

 

– चुनावी खर्चे को ठीक करने के लिए सीए और वकील को जिम्मा
जांजगीर चांपा। राज्य में दो चरण में मतदान पूरा होने के बाद अब 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। इसके एक महीने के भीतर चुनाव खर्च का हिसाब देना है। इसे लेकर उम्मीदवार काफी सतर्कता बरत रहे हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सीमा 28 लाख से अधिक खर्च होने पर निर्वाचन रद्द हो सकता है, इसलिए अभी से ही प्रत्याशियों ने अपने लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट नियुक्त किए हैं या वकील को जिम्मेदारी दे दी है , मतदान से पहले दिए गए हिसाब में गड़बड़ी को भी सुधारने के लिए जुगत लगाई जा रही है। निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक चुनाव के दौरान प्रत्याशी हर तीसरे दिन अपने खर्च का ब्योरा देते हैं, लेकिन कई बार जब दिया गया ब्योरा तय सीमा से अधिक हो जाता है तो उम्मीदवार पहले के बताए खर्च को फाइनल हिसाब देते वक्त कम करने का जुगाड़ भी लगाते हैं। हिसाब में किसी तरह की गड़बड़ी पर निर्वाचन रद्द होने से लेकर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगने का खतरा है, इसलिए सभी ज्यादातर उम्मीदवार सीए या वकील की मदद से हिसाब बनवा रहे हैं। खासकर पहली बार चुनाव लड़ने वाली कोई चूक नहीं करना चाह रहे। विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के बाद व्यय निगरानी टीमें हटा दी जाती हैं, लेकिन लेखांकन यानी एकाउंटिंग के लिए बनाई गई टीम को सबसे ज्यादा वक्त तक आयोग से अटैच रहकर काम करना होता है। 12 जनवरी को जब प्रत्याशी चुनाव का खर्च देंगे, तब एकाउंटिंग टीम पाई-पाई का हिसाब करेगी। पुराने प्रत्याशियों ने कहना है कि कोई मुश्किल नहीं ,वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक खर्च का ब्योरा देने में परेशानी नहीं है। हर तीन दिन में हिसाब दिया गया है। फाइनल हिसाब भी दे देंगे। नियम से चलने वाले उम्मीदवारों को हिसाब देने में मुश्किल नहीं आती।