प्रदेश के सबसे खूबसूरत कलेक्ट्रेट परिसर को बदसूरत बना रही जिम्मेदारों की अनदेखी…

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..समूचे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला बलरामपुर का ‘संयुक्त जिला कार्यालय परिसर यानी कलेक्ट्रेट’ अब बदहाल अवस्था मे पड़ा है। देश के प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से स्वच्छता का पाठ पूरे देश को पढ़ाया, आज वही स्वच्छता ‘आगे पाठ पीछे सपाट’ की तर्ज पर कलेक्ट्रेट परिसर में देखने को मिल रहा है। यही नही मोदी जी के स्वच्छता अभियान के दौरान जिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी वाहवाही बटोरने शहर के गली मोहल्लों में हाथ मे झाड़ू थाम फोटोग्राफी करवाकर स्वच्छता आडंबर रचाया, वह किसी से छिपी नही है।
क्या वजह है कि वही अधिकारी अब कूड़े कचरों से गुजरकर अपने कार्यालय जाना पसंद कर रहे है? इन कचरे की ढेरों को डिस्पोस करने की जहमत किसी ने क्यों नही की?
दरअसल राज्य के अंतिम छोर पर बसे बलरामपुर-रामानुजगंज जिला कलेक्ट्रेट के भव्य इमारत की तारीफ स्वयं सूबे के मुखिया डॉक्टर रमन सिंह समेत कई मंत्री कर चुके है, और आख़िर यह तारीफ हो भी क्यो ना?आखिरकार इस इमारत को बनाने में सरकार ने 30 करोड़ रुपये पानी की तरह खर्च कर दिए। हैरानी इस बात की है, कि इतने बड़े कलेक्ट्रेट भवन में सफाई कर्मचारी ही नही है। लिहाजा यह कलेक्ट्रेट परिसर अब गंदगियों से गुलजार हो उठा है। कलेक्ट्रेट परिसर में गंदगी का साम्राज्य चहुँओर क़ायम है।हालाँकि कुछ समझदार कर्मचारियों ने जिम्मेदारी दिखाते हुये गुटखा खा कर नही थूकने और गंदगी न फैलाने की हिदायत देते पोस्टर कैम्पस में चस्पा कर दिए है, पर परिणाम सिफर ही है।

कुछ अधिकारियों ने समझदारी दिखाकर कचरा कलेक्ट्रेट कैम्पस में द्वार के समीप ही फिकवा दिया है। “अधिकारियों की समझदारी को सलाम” और वह इसलिए कि जिस जगह पर सरकारी कागजो की ढेर लगाई गई है, ठीक उसी जगह पर विद्युत ट्रांसफार्मर लगा है। बिजली की तारें जमीन पर भी बिखरी हुई है, जिनके करंट से ही कलेक्ट्रेट में रोशनी जला करते है। ट्रांसफार्मर के नीचे कचरे के ढेर में भी तारों का फैलाव है। जिससे शार्ट सर्किट के कारण बड़ी आगजनी की आशंका बनी हुई है।
विचारणीय है कि जिले के मुख्य प्रशासक यानी कलेक्टर के दरबार की गंदगी खुद उन्हे ही नही दिखाई दे रही। पूरे कलेक्ट्रेट बिल्डिंग की गलियां मानो ऐसा दिख रही हो, जैसे सदियों से यहाँ पोंछा तो क्या झाड़ू ही ना लगा हो। चारों ओर गुटखा की पीक के निशान और पाउच के कचरे फैले हुये हैं।
परिसर में कार्यरत अन्य विभागों के जिला अधिकारी भी शायद सफाई से कोई वास्ता नही रखना चाहते, अन्यथा परिसर की सफाई कोई बहुत टेढ़ी खीर नही है।
सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या जिले में स्वच्छता अभियान केवल फोटोग्राफी और स्वच्छ्ता के आडम्बर तक ही सीमित रह जायेगा?