सरगुजा में 5600 शिक्षक पं. न. नि. संवर्ग करेंगें धरना-प्रदर्शन व रैली

जिले के  2000 से अधिक शासकिय स्कूल होंगे प्रभावित
अम्बिकापुर शासन की लगातार हठधर्मिता व वादाखिलाफी के खिलाफ एवं अपने अधिकार, हक व सम्मान के समर्थन में 30 अक्टूबर को जिले के समस्त शिक्षक संवर्ग विकासखण्ड मुख्यालय में धरना व रैली कर अपनी आवाज बुलंद करेंगें। छत्तीसगढ़ के सभी 146 विकासखंडो में एक साथ यह आंदोलन होने जा रहा है। सरगुजा  जिले के 1330  प्राथमिक शाला , 565 माध्यमिक शाला व 155 हाई स्कूल हायर सेकेंडरी के लगभग 5600 शिक्षक पंचायत संवर्ग हड़ताल में शामिल होंगे। जिससे जिले की 90% स्कूलों में ताला बन्दी की स्थिति रहेगी। ज्ञात हो छत्तीसगढ़ के प्रमुख 5 संघो ने एक मोर्चा छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरी निकाय मोर्चा बनाया है जिसके बैनर तले शिक्षक आंदोलनरत होंगे।
इस धरना प्रदर्शन व रैली के माध्यम से अपनी नौ सूत्रीय मांग जैसे  संविलियन, मूलपदों पर शासकीयकरण, क्रमोन्नति, सहायक शिक्षक पंचायत की वेतन विसंगति, स्पष्ट स्थानांतरण नीति आदि को लेकर अनुभागीय दंडाधिकारी, तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री सहित समस्त विभागीय मंत्रियों व सचिवों के नाम से ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस बार शिक्षक संवर्ग आरपार व अभी नही तो कभी नही के लिए कमर कस लिए है। मोर्चा के जिला संचालक मनोज वर्मा ने कहा कि विगत 20 वर्षों से हम अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब हम सेवानिवृति के कगार पर पहुँच गए हैं। पर हमारी मांगों पर ठोस पहल नहीं हुईं है। विगत 3 पंचवर्षीय सत्ता सुख भोगने वाली वर्तमान सरकार में इच्छाशक्ति की कमी स्पष्ट नजर आती है।
चुनावी घोषणापत्र में हमारे लिए झूठे वादे बस किये जो थोड़ा दिए उसे भी किस्त किस्त में ले लिए। वही संचालक सर्वजीत पाठक ने कहा की चाहे जो भी हो जाये इस बार हम ठान के आंदोलन में उतरे है। अपना हक लेकर रहेंगे। हम कोई भीख नही मांग रहे। संवैधानिक तरीके से अपनी बात मुख्यमंत्री को रख रहे है। 14 साल सेवा देते हो गए पर मुझे ये आज तक पता नही की मैं शिक्षाविभाग का या पंचायत विभाग का कर्मचारी हूँ। हाँ जनमानस में ये जरूर प्रचारित किया जाता है कि शिक्षक जब तब केवल हड़ताल पर बैठ जाते है।  पर हमारी पीड़ा किसी को दिखाई नही देता। हमने बीसों त्योहार आर्थिक तंगी में मनाए है। कभी वेतन समय से नही मिलता।
वही मोर्चा के एक और जिला संचालक राकेश वर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद छत्तीसगढ़ में हम पैराशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। समानकाम समानवेतन हमारा संवैधानिक हक है। इस चुनावी वर्ष हम अपना हक पाने दृढ़संकल्पित है। हम पूरी ईमानदारी से स्कूलों में अधिगम कराते हैं। आज हमारी संख्या पूरे छत्तीसगढ़ में 90% है। तथापि 10% बचे नियमित शिक्षकों जैसी मिलने वाली सुविधाओं से हम वंचित है। अगर शासन 15 नवम्बर तक हमारी नौसूत्रीय मांगो पर सकारात्मक निर्णय नही लेती तो 20 नवम्बर से हम अनिश्चितकालीन आन्दोलन में बैठ जाएंगे। जिसकी केवल और केवल जवाबदेही वर्तमान भाजपा सरकार की होगी। जिला संचालकों ने उपरोक्त आंदोलनों की रणनीति तैयार कर ली है। अब ये शासन-प्रशासन की इच्छाशक्ति पर निर्भर है कि वो हमें शालाओ पर पढ़ाते देखना चाहती है या आन्दोलनरत चिल्लाते देखना चाहती है।इस चुनावीवर्ष हमारी हक के लिए संघर्ष आरपार की होगी।

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