उत्तर प्रदेश. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित शिवालिक की पहाड़ियों में हाल ही में हाथी का 50 लाख साल से भी अधिक पुराने जबड़े का जीवाश्म मिला है. वन विभाग और विश्व वन्यजीव कोष (डब्लूडब्लूएफ) के सर्वेक्षण में यह जीवाश्म हिप्पोपोटेमश व डायनासोर के समकालीन हाथियों की स्टेगोडॉन प्रजाति का पाया गया है.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के तहत आने वाले शिवालिक वन क्षेत्र में वन्य जीवों की गणना का काम पिछले 6 माह से चल रहा है. इस काम के लिए वन्य क्षेत्र में जगह-जगह कैमरे लगाए जा रहे हैं. इस गणना और सर्वेक्षण के दौरान जनपद की वन विभाग की टीम को एक हाथी का 50 लाख वर्ष पुराना फॉसिल्स मिला है.
जनपद के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि जिस हाथी का जबड़ा मिला है यह लगभग 50 लाख वर्ष पुराना है, जिसकी पुष्टि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून ने अध्ययन की है. उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट द्वारा अध्ययन कर बताया गया है कि यह फॉसिल्स हाथी के पूर्वजों का है, जिसको स्टेगोडॉन के नाम से जाना जाता है. वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलाजी देहरादून के वैज्ञानिक डॉक्टरों ने इस रेंज में पाए जाने वाले विभिन्न फौसिल्स पर अध्ययन किया है.
50 लाख वर्ष पहले स्टेगोडॉन के दांत होते थे. वे 12 से 18 फिट लम्बे होते थे, जो आज विलुप्त हो चुके हैं. पाया गया यह दुर्लभ हाथी दांत है और इसकी कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है. मुख्य वन संरक्षक/वन संरक्षक सहारनपुर क्षेत्र वी के जैन ने बताया कि सर्वेक्षण टीम के सदस्य वीके जैन, डाक्टर आईपी बोपन्ना, देववृत्त पंवार आदि ने बादशाही बाग के डाठा स्रोत के किनारे फॉसिल्स तलाशने में कामयाबी हासिल की.