दमोह/मध्य प्रदेश: सरकार की तमाम कोशिशों और कड़े एक्शन के बाद भी रिश्वत लेने वाले अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के खेल अब परीक्षा केन्द्रों तक पहुँच गया है। दमोह में लोकायुक्त पुलिस की टीम ने एक केंद्र प्रभारी को 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
मध्य प्रदेश में इन दिनों कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा चल रही हैं। ऐसे में बोर्ड परीक्षा में रिश्वत का खेल कर छात्रों को नकल कराकर पास कराने का झांसा देने वाले एक मामले का भंडाफोड़ हुआ है। दमोह जिले में लोकायुक्त पुलिस ने एक केंद्र प्रभारी को गिरफ्तार किया है। जिसके द्वारा कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा को नकल कराकर पास कराने की एवज में 10,000/- रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी।
लोकायुक्त पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नरसिंहगढ़ परीक्षा केंद्र प्रभारी घनश्याम अहिरवार द्वारा कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा के पिता रामू रैकवार से 10,000/- की रिश्वत की मांग की गई थी। दोनों के बीच 7000/- रुपये में सौदा तय हुआ था। जिसके लिए 2000/- की राशि पीड़ित के द्वारा केंद्र प्रभारी घनश्याम अहिरवार को कल दे दी थी।
2000/- रुपये की रिश्वत दिए जाने के बाद रामू रैकवार ने इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस सागर में की और बताया कि आज वो शेष 5000/- रुपये की रिश्वत देने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नरसिंहपुर केंद्र प्रभारी के पास जायेगा, शिकायत की तस्दीक के बाद लोकायुक्त टीम ने समझाइश देकर रामू रैकवार कप केंद्र प्रभारी घनश्याम अहिरवार के पास भेजा।
डीएसपी लोकायुक्त प्रफुल्ल श्रीवास्तव ने बताया कि आवेदक रामू रैकवार ने आज शुक्रवार को जैसे ही रिश्वत की राशि 5000/- रुपये परीक्षा केंद्र प्रभारी घनश्याम अहिरवार को दिए पहले से तैयार लोकायुक्त की टीम ने उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त की टीम ने जब उनकी तलाशी ली तो उनकी जेब से 5000/- रुपये मिले और हाथ धुलाने पर उसमें से गुलाबी रंग निकला, जिसके आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारा अधिनियम की धाराओं में प्रकरण पंजिबद्द कर गिरफ्तार कर लिया।
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नरसिंहपुर केंद्र प्रभारी घनश्याम अहिरवार को रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद विभाग में हडकंप मच गया है। उधर इस गिरफ्तारी के बाद इस बात क अभी खुलासा हुआ है कि किस तरह बोर्ड परीक्षा का आयोजन कराने और उसमें काम करने वाले शासकीय शिक्षकों द्वारा रिश्वत का खेल खेला जाता है और पास कराने के लिए पैसों का बंदरबांट होता है।