माखनलाल पत्रिका विश्वविद्यालय मे सार्थक शनिवार को हुआ कवि सम्मेलन

भोपाल19 जुलाई

एमसीयू के जनसंचार विभाग में कवि सम्मेलन का आयोजन

 

“ठण्डी-ठण्डी बूंदें जब आंखों को छूती हैं तो ऐसा लगता है मानो कुछ कह रही हों।” “बारिश की इन बूंदों से सीखें क्षण भंगुर है जीवन, पल में दु:ख, पल में खुशियां।” माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने कुछ इस तरह सावन, बारिश और प्रकृति का स्वागत किया। मौका था जनसंचार विभाग के साप्ताहिक आयोजन ‘सार्थक शनिवार’ में कवि सम्मेलन का। सम्मेलन में विद्यार्थी कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं के साथ महान लेखकों की कालजयी कविताओं का भी पाठ किया।

Makhan Lal Chaturvedi University of Journalism and Mass Communication Department of the poet Conference 2      Makhan Lal Chaturvedi University of Journalism and Mass Communication Department of the poet Conference 1

अभिषेक दुबे ने ‘आई रे आई बरखा ऋतु आई’ से सावन के मौसम का चित्रण किया। वहीं प्रशान्त तिवारी ने अपनी कविता ‘इक चिडिय़ा ने जुटाये ये कुछ तिनके, अपना आशियां बनाने को’ के माध्यम से बताया कि कैसे पशु-पक्षी सावन का स्वागत करते हैं। पवन कुमार मौर्य ने मौसम में आए बदलाव को कुछ यूं शब्द दिए, ‘बादल बरसते थे तब बरसते थे, अब तो आंसू बहाते हैं’। अनमोल जैन ने’ये बूंदें कुछ कहती हैं’, साक्षी तिवारी ने ‘देखो आई बरखा बहार’, ओमप्रकाश पवार ने ‘बरसाती रात’,  अश्विनी कुमार ने ‘मेरी व्यथा-कथा’, अभिषेक महावर ने ‘सारी धरती करे पुकार, पर्यावरण में करो सुधार’, श्रेयसा विजय ने ‘काले बादल’ और श्वेता सिंह ने कविता’रोमिंग क्लाउड्स’ की प्रस्तुति देकर खूब तालियां और वाहवाही बटोरी। नितिका सिंह और कनिष्का तिवारी ने सांस्कृतिक गीत की प्रस्तुति दी।

संवेदना बनाती है कवि : संजय द्विवेदी

आयोजन में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने कहा कि कविता वे ही लोग करते हैं जिनके हृदय में संवेदना होती है,जो समाज, देश और मानवता की चिंता करते हैं। जिनके मन में पीड़ा नहीं होती, वे कवि नहीं हो सकते। उन्होंने दृष्टांत देते हुए बताया कि “वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान”। विद्यार्थियों को अच्छा पढऩे और लिखने के लिए प्रेरित करते हुए श्री द्विवेदी ने कहा कि जो रचेगा वही बचेगा। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ न कुछ सार्थक लिखना चाहिए। इस मौके पर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ मालवीय, प्रोडक्शन सहायक लोकेन्द्र सिंह और अतिथि प्राध्यापक पंकज कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राणा ज्योति और ब्रजकिशोर जादौन ने किया।