प्रकृति की मनोहारी छटा ने मांडू के सौंदर्य को निखार दिया है। सैकड़ों फुट नीचे नर्मदा का विशाल पाट फैला है जिसकी सोंधी गंध समूचे परिवेश को अतीव रोमांचक बना देती है। यहां निर्मित मंडपों, स्तंभ युक्त कक्षों गुंबदों और बुर्जों से अतीतकाल की अनेक स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। मांडू को बाज बहादुर और रूपमति की प्रणय गाथा से भी जोड़ा गया है। समुद्र से 2000 फुट की ऊंचाई पर विंध्य पर्वतमाला की गोद में स्थित इस सुरक्षित स्थल को मालवा के परमार राजाओं ने अपनी राजधानी बनाया था। यहां का प्रत्येक स्थापत्य भरतीय वास्तुकला का भव्य नमूना है।
मांडू का परकोटा:- इसमें 12 दरवाजे हैं जो रामपोल, तारापुर दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, दिल्ली दरवाजा आदि नामों से जाने जाते हैं। यह निर्माण अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध है।
हिंडोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामी मस्जिद अशर्फी महल, रेचा कुंड, रूपमती मंडप, नीलकंठ, नीलकंठ महल, हाथी महल तथा लोहानी गुफाएं आदि दर्शनीय है।
वायु सेवा:- निकटतम हवाई अड्डा 99 कि.मी. दूर इंदौर में है। मुंबई, दिल्ली, ग्वालियर तथा भोपाल से इंदौर पहुंच सकते हैं।
रेलसेवा:-मुबंई-दिल्ली रेल मार्ग पर रतलाम 124 कि.मी. तथा इंदौर 99 कि.मी. निकटतम स्टेशन है।
सड़क मार्ग:- इंदौर, धार, महू, रतलाम, उज्जैन और भोपाल से बस सेवा उपलब्ध है।
ठहरने के लिए:-मध्यप्रदेशपर्यटन विकास निगम के कॉटेज, लॉज, सरकारी डाक बंगला, जैन धर्मशाला आदि उपलब्ध है।