उज्जैन… महाकाल और कालभैरव

 

उज्जैन

पुण्य-सलिला क्षिप्रा के पूर्वी तट पर स्थित भारत की महाभागा नगरी उज्जयिनी को भारत की सांस्कृतिक-काया का मणि-चक्र माना गया है। पुराणों में उज्जयिनी, अवन्तिका, अमरावती, प्रतिकल्पा, कुमुद्धती आदि नामों से इसकी महिमा गायी गई है।Sanchi Stup (www.mpinfo.org)

 

महाकवि कालीदास द्वारा वर्णित “श्री विशाला” एवं पुराणों में वर्णित “सार्वभौम” नगरी यही है। उज्जैन का सिंहस्थ पर्व प्रत्येक बारह वर्षों के अंतराल से कुंभ पर्व रूपी दुर्लभ अवसर पर मनाया जाता है। श्रीकृष्ण-सुदामा ने यही सांदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी।

 

दर्शनीय स्थल

यहां महाकाल मंदिर परिसर मंगलनाथ, काल भौरव, विक्रान्त भैरव, हरसिद्धि, चौसठयोगिनी, गढ़कालिका, नगर कोट की रानी, गोपाल मंदिर, अनंत नारायण मंदिर, अंकपात, त्रिवेणी संगम पर नवग्रह मंदिर चिन्तामण-गणेश, अवन्ति-पार्श्वनाथ मंदिर, ख्वाजा शकेब की मस्जिद, बोहरों का रोजा, जामा मस्जिद, वैश्या टेकरी का स्तूप-स्थल, कालियादह महल, ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, पीर-मत्स्येन्द्र की समाधि, जयसिंहपुरा, दिगम्बर जैन संग्रहालय, वाकणकर स्मृति जिला पुरातत्व संग्रहालय, भारतीय कला भवन, दुर्गादास राठौर की छत्री आदि दर्शनीय स्थल हैं।

 

कैसे पहुंचे

 

वायु सेवा:- भोपाल तथा इंदौर निकटतम हवाई अड्डे हैं।

रेल सेवा:- उज्जैन रेलवे जंक्शन है। उज्जैन, पश्चिम रेलवे की मुंबई-दिल्ली लाईन पर स्थित है।

सड़क मार्ग:- रतलाम,इंदौर,भोपाल से नियमित बस सेवाएं उज्जैन के लिए उपलब्ध हैं।

ठहरने के लिए:- मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के होटल एवं लॉज तथा गैर सरकारी होटल, विश्रामगृह, धर्मशालाएं उपलब्ध है।