कोरोनोवायरस पर रिपोर्टिंग पर मीडिया कर्मियों के लिए दिए गए हैं कुछ सुझाव, जानिए क्या हैं ये..

नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के अनुसार बीमारी वाले लोगों के लिए “कोविड-19 मामले”, “कोविड-19 पीड़ित” या “कोविड-19 रोगग्रस्त” शब्दों का प्रयोग न करें जैसा  विश्व भर के पत्रकार कर रहे हैं. यह  ऐसे लोग हैं ‘जिन्हें कोविड-19 हुआ है’, ‘जिनका कोविड-19 का इलाज चल रहा है’ या ‘जो कोविड-19 से ठीक हो रहे हैं.’
 
सनसनीखेज भाषा का उपयोग भय के स्तर को बढ़ा सकती हैं, इनसे बचें

भावनात्मक वाक्यांश जैसे ‘कोई अंत नज़र  में नहीं’ , ‘उथल-पुथल’, ‘घातक’ और ‘तबाही’ जैसे शब्द  जो अक्सर  प्रयोग किए जा रहे हैं,  आकर्षक हो सकते हैं लेकिन अफवाहों से बीमारी के प्रति भय पैदा करने  में सहायक होते हैं. इसलिए इन शब्दों या वाक्यांशों से हमें बचना चाहिए.

संग्रहित फोटो के इस्तेमाल से बचें क्योंकि यह  रोग के प्रति भय का कारण बनती हैं

किसी भी संग्रहित फोटो को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से सोच लें. कोशिश करें कि स्टॉक इमेज का उपयोग न करें जो रूढ़िवादी छवियों को बढ़ा सकती  हैं. यही बात उन फोटो के लिए भी है जो अनुचित भय  पैदा कर सकता है. गलत संदेश फैलाने से बचने के लिए फोटो का सावधानी से उपयोग करें.

सबसे खराब स्थिति के बारे में अनुमान लगाने से बचें

विशेषज्ञों या स्त्रोतों को सनसनीखेज शब्दों या वाक्याशों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करने से पाठकों की कोई मदद नहीं होगी. बल्कि भय पैदा होगा. जो जानकारी सही हैं और ज्ञात हैं, उस पर ध्यान केंद्रित करें. मुख्य समाचार पर ध्यान दें, उसका भयावह रूप में विश्लेषण करने से बचें.

पाठकों को विशिष्ट एवं सटीक जानकारी प्रदान करें ,जो वह  ग्रहण कर सकें

विशेषज्ञ स्रोत जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार  और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई विश्वसनीय जानकारी पाठकों तक पहुंचाएं.

पाठकों को जानकारी के लिए आधिकारिक स्त्रोतों की उपलब्धता बताएं

पाठकों को यह बताएं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध है। केवल गुगल पर निर्भर होने की बजाय लोगों को जानकारी देने के लिए प्रामाणिक स्रोतों का इस्तेमाल करें एवं उनकी वेबसाइटों का और  छत्तीसगढ़ हेल्पलाइन नंबर- 0771-2235091 और 104 के बारे में बताएं।.
कोरोनावायरस के लिए हेल्पलाइन ईमेल आईडी: ncov2019@gmail.com की जानकारी दें .
छत्तीसगढ़ सरकार: ईमेल: idspssucg@rediffmail.com
Website: cghealth.nic.in 

एक से अधिक विशेषज्ञ से बात करें

एक से अधिक विशेषज्ञों से बातचीत और सटीक जानकारी को ही अपनी रिपोर्टिंग का आधार बनाएं। क्योंकि विभिन्न विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हो सकती है. ऐसे व्यक्ति से सावधान रहें जो यह दावा करता है वह सबकुछ जानता है.  एक से अधिक विशेषज्ञों से चर्चा कर सही जानकारी पाठकों तक पहुंचाएं.

याद रखें हर अफवाह कवरेज की हकदार नहीं

कवरेज करने में अफवाहों पर ध्यान केन्द्रित करने से बचें. ऐसी अफवाहों को कवर न करें जो चुनिन्दा समुदाय में घूम रही हैं या उन तक ही सीमित हैं. पत्रकारों को अपनी सुर्खियों में अफवाह वाली भाषा का उपयोग नहीं करके अफवाहों के विस्तारण से बचना चाहिए. समाचार की हेडिंग महत्वपूर्ण होती है. इसे सनसनीखेज बनाने से बचना चाहिए। आपने विस्तृत समाचार में यह लिखा भी हो  कि यह अफवाह है पर कुछ लोग विस्तृत समाचार को नहीं पढ़ते हैं, केवल हेडिंग ही पढ़ते हैं. इसलिए इसे सरल और संक्षिप्त रखें.

अपमानजनक भाषा से बचें

कवरेज या रिपोर्टिंग में व्यक्तिपरक विशेषणों का उपयोग कम करें – उदाहरण के लिए “घातक” रोग. कोविड-19 से कई देशों के लोगों के प्रभावित होने की संभावना है. किसी भी जातीयता या राष्ट्रीयता से इसे नहीं जोड़े. जो प्रभावित हुए हैं उनके प्रति सहानुभूति रखें, चाहे वो किसी भी देश के हों. क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.

मानचित्र और ग्राफिक्स को दर्शाते समय डेटा स्रोत में दिनांक और संदर्भ को भी शामिल करें

याद रखें सांख्यिकीय रूप से दर्शायी गई स्टोरी लोग आसानी से समझते हैं. सामान्य लेख  की तुलना में इसकी भयानकता कम होती हैं. इसका उपयोग करें क्योंकि इसे समझना आसान है.

क्या करें और क्या न’ और ज़रूरी जानकारी – को लेखों में बार बार दोहरायें

ऐसा करने से ज़रूरी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी. यह इस लिए भी आवश्यक है क्योंकि समुदाय जानकारी चाहता है.

सन्दर्भ– विश्व स्वास्थ्य संगठन, IJNET, कोरोना इबुक, फर्स्ट ड्राफ्ट, ग्लोबल इन्वेस्टगेटिव जर्नलिस्म नेटवर्क