पेगासस जासूसी मामले के सामने आने के बाद से ही केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां हमलावर हो गई हैं। वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली आईटी मामलों की संसदीय समिति गृह मंत्रालय समेत कई विभागों के सरकारी अधिकारियों से पूछताछ करेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले पेगासस मामले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा था कि पेगासस मामला एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता है और सरकार को इस पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए। थरूर ने कहा, यह साफ हो चुका है कि भारत में फोन की जांच दरअसल पेगासस की घुसपैठ थी। उन्होंने कहा था कि यह उत्पाद केवल सरकारों को ही बेची जाती है, तो सवाल उठता है कि किस सरकार को बेचा गया। यदि भारत सरकार कहती है कि उसने नहीं किया, तो किसी और सरकार ने किया। तब तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा का और भी गंभीर मामला है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, थरूर के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक 28 जुलाई को निर्धारित की गई है। इस बैठक का एजेंडा ‘नागरिक डाटा सुरक्षा एवं निजता’ है। इस समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा से हैं। समिति ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया गया है।
सूत्रों की माने तो बैठक में पेगासस फोन टैपिंग का मामला निश्चित रूप से सामने आएगा और अधिकारियों से जानकारी मांगी जाएगी। पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करते हुए ‘जासूसी’ का विषय संसद में और उसके बाहर बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इसके कारण संसद के मानसून सत्र में दो दिन विपक्षी सदस्यों ने भारी शोर शराबा किया। इससे पहले थरूर ने पूरे कथित जासूसी प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता बताया था और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था ।
केंद्र सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं।