झारखंड के देवघर जिले में रोपवे केबल कार हादसे के बाद 25 लोगों को बचा लिया गया है जबकि करीब 26 घंटे बाद भी सोमवार को 23 लोग बीच हवा में लटके हुए हैं। एक दिन पहले हुए हादसे में एक शख्स की मौत हुई है और 12 अन्य जख्मी हुए हैं। इस बीच एक और अनहोनी हुई। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना के हेलिकॉप्टर से फिसल कर नीचे गिरने से एक युवक की मौत हो गई। युवक को रस्सी के सहारे हेलिकॉप्टर के अंदर खींचने की कोशिश हो रही थी लेकिन हेलिकॉप्टर के करीब पहुंचकर युवक का हाथ छूट गया।
देवघर के उपायुक्त (डीसी) मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि यात्रियों को वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों की मदद से निकाला गया है। तकनीकी खराबी की वजह से रोपवे की कारें आपस में टकरा गई थी जिस वजह से यह हादसा हुआ है। 19 घंटे तक एक ट्रॉली में फंसे रहे संदीप ने कहा, “मुझे लगता है कि बाबा बैद्यनाथ ने मुझे दूसरी जिंदगी दी है। मैं रात भर हवा में लटकी ट्रॉली में फंसे रहने के दर्दनाक अनुभव को बयां नहीं कर सकता। यह भयावह था।” लगभग 100 फीट की ऊंचाई पर ट्रॉली हवा में लटकी हुई है। उन्होंने कहा कि ट्रॉली की बिजली अचानक चली गई और वह बीच में ही रुक गई। जब मैंने रविवार को शाम करीब चार बजे हेल्पलाइन नंबर पर कॉल की, तो मुझे बताया गया कि यह तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गई है, जिसे ठीक किया जा रहा है। मैंने शाम सात बजे फिर से फोन किया। उन्होंने कहा कि रोपवे काम नहीं कर रहा है और वे हमें सोमवार को हेलीकॉप्टर के जरिए निकालेंगे। हम ट्रॉली में चार लोग थे और बहुत डरे हुए थे।
पश्चिम बंगाल के देवांग जयपाल ने कहा, “बाबा बैद्यनाथ की पूजा करने के बाद, मैं इस रोपवे की सवारी का आनंद लेना चाहता था… कौन जानता था कि मैं पूरी रात एक ट्रॉली में लटका रहूंगा।” उन्होंने कहा, “भोजन और पानी नहीं होने के कारण, रविवार की रात को हम सो नहीं सके। सोमवार को हमें ड्रोन के जरिए कुछ खाना और पानी दिया गया। हमारी जान बचाने के लिए एनडीआरएफ, भारतीय वायु सेना और देवघर प्रशासन को धन्यवाद।”
घटना के करीब 24 घंटे बाद, फंसे हुए लोगों को ड्रोन के जरिए खाना और पानी दिया जा रहा है। कल रात 11 फंसे हुए सैलानियों को निकाल लिया गया था। रविवार शाम चार बजे त्रिकुट पहाड़ी पर केबल कारों के आपस में टकराने से हुए हादसे में 12 लोग जख्मी हुए थे और एक शख्स की मौत हो गई थी। घटनास्थल बाब बैद्यनाथ के प्रसिद्ध मंदिर से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर है। घटना पर दुख व्यक्त करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बचाव और राहत अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “सरकार स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है।” उन्होंने कहा, “मोहनपुर प्रखंड के तहत आने वाले त्रिकुट पर्वत पर रोपवे यात्रा के दौरान फंसे लोगों को वायुसेना, एनडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी की संयुक्त टीमें निकाल रही हैं।” बचाव और राहत अभियान के लिए वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि घटना की जांच कराई जाएगी और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। भजंत्री ने कहा कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके मुताबिक रोपवे सिस्टम में खराबी के कारण हुई दुर्घटना में एक शख्स की मौत हो गई। भाजपा के स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे ने हालांकि दावा किया कि तीन लोग मारे गए। भजंत्री देवघर के पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट के साथ बचाव और राहत कार्यों की निगरानी के लिए घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं।
रोपवे का संचालन एक निजी कंपनी कर रही है। इसे चला रहे परिचालक दुर्घटना के कुछ देर बाद ही इलाके से भाग गये। झारखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, यह रोपवे बाबा बैद्यनाथ मंदिर से करीब 20 किलीमीटर दूर स्थित है और यह 766 मीटर लंबा है जबकि पहाड़ी 392 मीटर ऊंची है। इस बीच, भाजपा उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य सरकार पर इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के मंत्री घटनास्थल पर नहीं गए।
दास ने कहा, “सरकार को लोगों की जान की कोई परवाह नहीं है। फौरन निर्णय लेने में असमर्थता के कारण यात्री रात भर हवा में लटके रहे।” उन्होंने दावा किया कि पूरे घटनाक्रम पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार मृतक के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी दे और सरकारी खर्च पर घायलों का इलाज कराए। दास ने घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।