मध्यप्रदेश के भोपाल में सायबर क्राइम पुलिस ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अधिकारी बनकर बेरोजगारों से ठगी करने के आरोप में पांच आरोपियों को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। पुलिस पूछताछ में यह गिरोह नौकरी लगवाने का झांसा देकर कई लोगों के साथ करीब सवा करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं। बेरोजगार युवकों को फंसाने के लिए अलग-अलग इलाकों में कॉल सेंटर चलाते थे।
इस मामले में एसपी ने बताया कि छोला मंदिर निवासी सुमित अहिरवार बीई सिविल करने के बाद नौकरी की तलाश में था। अप्रैल माह में उनके पास अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसने अपना परिचय एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी के रूप में दिया। उसने सुमित को बताया कि भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट पर सिविल विभाग में उसके लिए एक पद की व्यवस्था हो सकती है। सुमित ने नौकरी लालसा में हामी भरी तो फोन करने वाले ने रजिस्ट्रेशन के बहाने ऑनलाइन 2150 रुपये जमा करवाया। इसके बाद ऑनलाइन परीक्षा के लिए 8240 रुपए मांगे। सुमित ने रुपए भेज दिए तो उसे एक पेपर भेजा गया। उसे भरकर सुमित ने भेज दिया। जालसाज ने परीक्षा में उसके पास होने की जानकारी दी। साथ ही यूनिफार्म, प्रशिक्षण के लिए पत्र, इनवाइस आदि के लिए भी 13 हजार 600 रुपए और जमा करवा लिए। अपने साथ हुई ठगी की जानकारी होने पर सुमित ने मामले की शिकायत पुलिस से की।
वहीं एसपी ने बताया कि शिकायत के आधार पर तकनीकी जांच की गई, जिसके बाद गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के नाम अतुल कुमार, गोविंद कुमार, अभिषेक कुमार , सचिन कुमार और जितेंद्र राठौर हैं। अतुल और गोविंद पूर्व में हैदराबाद और पौड़ी, गढ़वाल में धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार हो चुके है,
आरोपितों के पास से कम्प्यूटर मॉनीटर, सीपीयू, 26 मोबाइल फोन, 34 पुराने सिमकार्ड, तीन एटीएम कार्ड, दो चेकबुक, बैंक पासबुक समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। आरोपियों के कई खातों से अब तक करीब सवा करोड़ रुपये के लेन-देन की जानकारी मिली है। पुलिस ने उनके अकाउंट में मौजूद 11 हजार रुपये फ्रीज करवाए हैं।
बेरोजगार युवको को अपने झांसे में लेने के लिए आरोपियों ने कॉल सेंटर खोल रखा था। वह गाजियाबाद और इंद्रापुरम में अपना कॉलसेंटर चला रहे थे। इन्होंने कॉल सेंटर में 6 लड़कियों को फोन करने के लिए नौकरी पर रखा गया था। वहीं अन्य लोग फर्जी खाता खुलवाने, एटीएम से पैसे निकालने और ठगी से हासिल रुपये जमा करने के लिए अन्य खातों की व्यवस्था करते थे।