स्वच्छ हो जयपुर। इसी अभियान के लिए शहर की जनता के साथ विधायक, पार्षद, अफसर और नगर निगम के तमाम संसाधन लगे हुए हैं। तस्वीर बदल भी रही है, लेकिन शिकायतें जारी हैं। ऐसा क्यों? संसाधन काम कर भी रहे हैं या नहीं…इसकी कड़ी निगरानी के लिए नगर निगम ने कचरा उठाने वाले वाहनों पर ऑनलाइन व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाना शुरू कर दिया है।
खुद मेयर के मोबाइल पर वाहनों की लोकेशन आएगी। मॉनिटरिंग करने वाले अफसरों की भी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से निगरानी होगी। राजस्थान इलेक्ट्रानिक एंड इंस्टूमेंट लि. कंपनी ने पहले चरण में कचरा उठाने वाले डम्पर, लोडर व अन्य 100 वाहनों पर व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया है।
सफाई जारी है
ब्रह्मपुरी इलाके के छोटा अखाड़ा एरिया में रविवार को सफाई अभियान शुरू किया। पार्षद ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर छोटा अखाडा एरिया की हर गली मोहल्ला में पहुंचकर सफाई करवाई। निगम के संसाधनोें से मौके पर एकत्र कचरा उठाया गया।
ऐसे काम करेगा सिस्टम : वाहन पर व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाता है। इसे वाहन की बैटरी से पॉवर सप्लाई होती है। जीपीएस सिस्टम में एक सिम होगी जिसे मोबाइल सिम की भांति सेटेलाइट से सिग्नल मिलेगा। व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम में वाहन की स्पीड, लोकेशन दर्शाएगी। वाहन ने कितनी दूरी तय की। कहां रुका आदि रिकार्ड एकत्र होगा।
जरूरत क्यों : नगर निगम की गैराज शाखा पर एक साल में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। निगम के संसाधनों और ईंधन पर हर महीने लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद उम्मीद अनुसार काम नहीं होता।
यह होगा फायदा : इस सिस्टम के माध्यम से मेयर व निगम के अफसर आफिस में बैठे बैठे ही कचरा परिवहन में लगे वाहन, सीवर जेटिंग मशीन व्हीकल, जेसीबी और अन्य गाड़ियों की लोकेशन, उसने कितने चक्कर लगाए, कहां किस रोड से होकर गुजरा और कितने किलोमीटर चला और उसका ईंधन खर्च क्या होगा। यह जानकारी ले सकेंगे।
यह होगा फायदा : मेयर व अफसर आॅफिस में बैठे-बैठे कचरा वाहन, सीवर जेटिंग मशीन व्हीकल, जेसीबी और अन्य गाड़ियों की लोकेशन, उसने कितने चक्कर लगाए, किस रोड से होकर गुजरा, ईंधन खर्च क्या रहा…पता लगा लेंगे।
वाहनों का ट्रैकिंग सिस्टम ऑन लाइन होगा तो कहीं से भी वाहनों पर निगरानी रखी जा सकेगी। हमारा लक्ष्य सफाई सुधार को बेहतर बनाना और निगम के पैसे का दुरुपयोग होने से रोकना है।