नई दिल्ली। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आज यानी रविवार को होने वाली एक दिवसीय बैठक में पार्टी चुनाव को लेकर व्यापक मंथन करेगी। इसमें अगले साल की शुरुआत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों और रणनीति पर चर्चा होगी। वहीं, हाल में संपन्न हुए उपचुनाव के नतीजों की समीक्षा भी होगी। चुनावी राज्यों के साथ अलग से चर्चा होने की भी संभावना है। कोरोना काल के चलते लगभग दो साल बाद होने जाने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राज्यों के नेता वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे। दिल्ली में हो रही कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ दिल्ली के नेता ही मौजूद रहेंगे, जिनकी संख्या लगभग 124 रहेगी। बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। हालांकि, सबकी नजर समापन सत्र पर रहेगी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे।
कोरोना काल के चलते लगभग दो साल बाद हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस बीच पार्टी ने जहां बिहार में गठबंधन की सरकार बनाई थी, वहीं पश्चिम बंगाल में उसे हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद हाल में तीन लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी उसका प्रदर्शन बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं रहा। जहां असम में बड़ी सफलता मिली, वहीं हिमाचल प्रदेश में उसे बड़ा झटका भी लगा। मध्य प्रदेश में थोड़ी स्थित संभली दिखी। ऐसे में पार्टी को लगभग तीन माह बाद होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी भावी रणनीति को भी अंतिम रूप देना है।
चूंकि कार्यकारिणी की बैठक ऐसा मंच होता है, जिसमें पार्टी नेतृत्व देश भर से राय मशवरा ले सकता है। पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने कहा है कि बैठक में पांच राज्यों के चुनाव को लेकर व्यापक चर्चा होगी। इससे साफ है कि पार्टी आने वाले चुनाव को लेकर काफी गंभीर है और इस मायने में यह बैठक छोटी होने के बावजूद भी काफी महत्वपूर्ण होगी। बैठक का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रस्ताव होगा। जिसमें विभिन्न मुद्दे शामिल रहेंगे, लेकिन मुख्य जोर चुनावी गतिविधियों पर रहने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समापन संबोधन भी महत्वपूर्ण होगा, जिसमें वह पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठन और चुनाव की दृष्टि से भावी मंत्र देंगे। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद जेपी नड्डा को कोरोना काल के चलते अपनी कार्यकारिणी के गठन में भी समय लगा इस नाते कार्यकारिणी की बैठक भी लगभग दो साल बाद होने जा रही है। कोरोना नियमों के कारण सभी सदस्यों का एक साथ उपस्थित होकर बैठक में हिस्सा लेना संभव नहीं है, इसलिए राज्यों को वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेने को कहा गया है। राज्य और केंद्रीय नेतृत्व टू वे कम्युनिकेशन के जरिए संवाद करेंगे।
बीते दो साल के भीतर भाजपा ने कई बड़े निर्णय लिए हैं, जिनमें उत्तराखंड में दो बार नेतृत्व परिवर्तन और गुजरात में पूरी सरकार का चेहरा बदलना महत्वपूर्ण रहा है। ऐसे में संगठनात्मक एवं राजनीतिक स्थितियों की समीक्षा के साथ आने वाले बदलावों के संकेत भी इस बैठक में मिल सकते हैं। जिन राज्यों को 2024 के पहले चुनाव में जाना है उनके लिए एक मोटी रणनीति इस बैठक से बन सकती है, जिस पर आने वाले दिनों में पार्टी अमल करेगी।