CSAT पर जारी है हंगामा, सरकार को चाहिए और वक्त

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नई दिल्ली। सीसैट के खिलाफ आंदोलनरत छात्रों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं नजर आ रही। सूत्रों के मुताबिक वर्मा कमेटी ने सीसैट को वैज्ञानिक दृष्टि से सही ठहराते हुए इसे बनाए रखने की सिफारिश की है। सरकार ने ये भी कहा है कि परीक्षा की तिथियों में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि जो छात्र इस साल परीक्षा में कामयाब नहीं होंगे उन्हें एक और मौका दिया जा सकता है।

आईएएस के इम्तहान में सीसैट को लेकर सड़क से संसद तक कोहराम मचा है। शुक्रवार को भी इस मसले पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा मचा तो जंतर-मंतर पर भी धरना प्रदर्शन जारी रहा। इस बीच सूत्रों के जरिए छन कर जो खबरें सामने आ रही हैं उनके मुताबिक सीसैट की समीक्षा के लिए गठित वर्मा कमेटी ने सीसैट को वैज्ञानिक दृष्टि से एकदम सही माना है। कमेटी की सिफारिश है कि इस टेस्ट को जारी रखा जाए। हालांकि हिंदी भाषी छात्रों की कुछ मांगों के मुताबिक टेस्ट में बदलाव हो सकता है।

माना जा रहा है कि कमेटी की इन सिफारिशों के मद्देनजर एक हफ्ते में कोई फैसला लेने का दावा कर रही सरकार अब और वक्त चाहती है।

पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 18 जुलाई को ये मामला डिस्कस किया गया। आदरणीय सदस्यों ने कहा कि टाइम लिमिट होनी चाहिए, तब हमने एक हफ्ते का समय मांगा था। ये 25 जुलाई की बात है। अब हमारे पास रिपोर्ट आ गई है। इसमें मत भिन्न-भिन्न हैं। इसपर जो भी निष्कर्ष निकलेगा सरकार सदस्यों के सामने रखेगी। आज हमें रिपोर्ट प्राप्त हुई है तो इतना समय हमें दीजिए कि हम इसका अध्ययन करें।

सूत्रों के मुताबिक सरकार परीक्षा की तिथि में भी बदलाव नहीं करेगी। क्योंकि 24 अगस्त की तारीख के हिसाब से तमाम तैयारियां की जा चुकी हैं। इसलिए परीक्षा की तिथि में बदलाव संभव नहीं है। इसकी एवज में असफल रहे छात्रों को एक और मौका दिया जा सकता है। हालांकि इस लेकर विपक्षी दल अब भी सरकार के खिलाफ हमलावर हैं।

2011 से सरकार ने सिविल सर्विसेज की प्राथमिक परीक्षा में इस टेस्ट को शामिल किया। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों का कहना है कि इस टेस्ट में तकनीकी सवाल इस कदर भर दिए गए हैं कि आर्ट्स के छात्रों के लिए परीक्षा काफी मुश्किल हो गई है। दूसरी ओर इन प्रश्नों के अंग्रेजी से अनुवाद ऐसे हो रहे हैं कि मूल सवाल को ही समझना कठिन हो जाता है।

कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि जब तक सरकार न्याय नहीं करती हमारा विरोध जारी रहेगा। वहीं सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि देश की राष्ट्रीय भाषा की उपेक्षा हो रही है। हिंदी और राष्ट्रीय भाषा को अगर महत्त्व नहीं दिया गया तो सपा पूरे देश में हंगामा करेगी। वहीं जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा कि अब तो ऐसा लग रहा है सरकार को घोषित कर देना चाहिए कि हिंदी भाषियों औऱ भारतीय भाषाओं के लिए ये देश है ही नहीं।