आस्था या अंधविश्वास : इस गांव में पांच दिन पहले ही क्यो खेली जाती है होली ?

कोरिया से जगजीत सिंह की रिपोर्ट
ब्रज की होली तो पुरे संसार में ख्याति है, बसंत पंचमी के शुरु होने के बाद लगभग ४० दिनों तक ब्रज की भूमि में होली का त्यौहार मनाया जाता है जो यहाँ की परम्परा में है…पर आपको जानकर हैरत होगी की कोरिया जिले के एक गावं में भी होली को मनाने की एक अलग परम्परा है जहाँ इस त्यौहार को  एक अनोखे अंदाज और निर्धारित तारीख से 5 दिन पहले मनाया जाता है जिसकी ख्याति आसपास के गावों समेत कई जिलों में है…फाग के रस में डूबे कोरिया जिले के ग्राम अमरपुर की होली को समय से पहले मनाने का अलग अंदाज है
सदियों से छत्तीसगढ़ रहस्यों और अबूझ पहेलियों का पिटारा रहा है। यहां का एक गांव भी इस धारणा को पूरी तरह चरितार्थ करता है। इस गांव का अनोखापन यह है कि यहां सभी प्रमुख त्योहार तय तिथि से एक सप्ताह पहले मना लिए जाते हैं। आधुनिकता की इस चकाचौंध में भंग-तरंग में डूब कर, ढोल-मंजीरे की थाप पर झूमते य़े ग्रामीण अपने प्राचीन और गौरवशाली परंपरा को आज भी कायम रखे हुए है…फाग के राग में राग मिलाते यह लोग आज होली का त्यौहार मना रहे हैं …भारतीय कैलेण्डर के हिसाब से भले ही होली का त्यौहार आगामी 23 मार्च को हो परन्तु इनके गावं में इस त्यौहार को परमपरागत तरीके से ५ दिन पहले मनाने का रीवाज है जो आज कई वर्षों से अनवरत चला आ रहा है इस त्यौहार को समय से पहले मनाने का जो रीवाज है इन गावो वालो को य़े तो नही पता की ऐसा कब से होता आ रहा है पर हाँ इन्हें य़े जरूर पता है की इनके गावों में आज ही होली है। AMARPUR HOLI 3
होली हमारे देश का एक परंपरागत त्यौहार है जो उल्लास से मनाया जाता रहा है यह अलग बात है कि इसे मनाने का ढंग अब लोगों का अलग अलग हो गया है, कोई रंग खेलने मित्रों के घर पर जाता है तो कोई घर पर ही बैठकर खा-पीकर मनोरंजन करते हुए समय बिताता है… पर इस गाव में होली के त्यौहार को समय से पहले मनाने की इस प्रथा को आप अंधविश्वास तो कह सकते हैं पर ऐसा करने के पीछे जो कारण यहाँ के ग्रामीण मानते हैं वह और भी आश्चर्य करने वाली बात लगती है पर इनके हिसाब से शायद यही सच है इनका मानना है अगर कोई भी त्यौहार समय से ठीक पांच दिन पहले नही मनाया जाता है तो इस गावं में कोई न कोई अनहोनी होती है जो गावं के किसी भी परिवार के यहाँ हो सकती है हालांकि यह मान्यता गावं वालों की हो सकती है पर फिर भी आज के दौर में लोगो को यह सब बातें फिजूल ही लगती है इसका मुख्य कारण यह है कि जब तक हमारे देश में संचार और प्रचार क्रांति नहीं हुई थी तब तक इस त्यौहार को मस्ती के भाव से मनाया जरूर जाता था पर अनेक लोगों ने इस अवसर पर दूसरे को अपमानित और बदनाम करने के लिये भी अपना प्रयास कर दिखाया, केवल शब्दिक नहीं बल्कि सचमुच में नाली से कीचड़ उठाकर फैंकने की भी घटनायें हुईं  उसे देख सुनकर लोगों का मन ही इस त्यौहार से वितृष्णा से भर गया तब से होली उल्लास कम चिंता का विषय बनती जा रही है आज शहरी क्षेत्रों में अनेक लोग होली से बाहर निकलने से कतराने लगे. एक तरह से यह उनकी आदत बन गयी.. अब तो ऐसे अनेक लोग हैं जो इस त्यौहार को घर पर बैठकर ही बिताते हैं आज महंगाई और रंगों की मिलावट ने भी इसका मजा बिगाड़ा है वही ऐसे दौर में अमरपुर गावं के लोगो की यह होली एक मिशाल ही मानी जा सकती है जहाँ किसी अनहोनी के डर से ही सही पर सभी मिल-जुलकर एक साथ होली का मज़ा तो लेने से नही चुकते
ताकि ग्राम देवता हों प्रसन्न  
प्रचलित लोक-संस्कृति और परंपरा के अनुसार यहां त्योहारों को हफ्ते भर पहले इसलिए मनाया जाता है, ताकि ग्राम देवता प्रसन्न रहें। यही कारण है कि इस साल सारा देश जहां होली का त्योहार जहां 23 मार्च को मनायेगा, इस गांव में यह पर्व 18 मार्च को ही मना लिया गया।
 
कब शुरु हुई यह परंपरा किसी को नहीं पता – 
अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह कि इस पंरपरा की शुरुआत कब हुई, इससे गांव वाले अनजान हैं। गांव वाले कहते हैं कि उनके पूर्वजों के समय में कुछ लोगों ने इस परंपरा की अवहलना की थी, तब गांव में अप्रिय घटना का खामियाजा भुगतना पड़ा। इस गांव में सिर्फ दशहरा ही पंचांग के अनुसार नियत तिथि को मनाया जाता है।
 
बुजुर्ग, युवा और बच्चों में उत्साह – 
यह गांव है कोरिया जिले का अमरपुर इस गांव में काफी जमाने से चार प्रमुख त्योहार हफ्ते भर पहले ही मना लेते हैं। त्योहार हैं- होली, पोला, हरेली और दिवाली छोटी आबादी वाले अमरपुर गांव में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर ग्रामीण सैकड़ों वर्षो से इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। तय तिथि से पहले त्योहारों को मनाने के बावजूद यहां के बुजुर्ग, युवा और बच्चों में खूब उत्साह रहता है।