सरगुजा के चिकित्सा महाविद्यालय का हुआ शुभारंभ

चिकित्सक बनने के बाद समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बेहतर निर्वहन करें – केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा

मेडिकल कालेज खुलने से सरगुजांचल के लोगों का हुआ सपना साकार- मुख्यमंत्री डा. सिंह

 अम्बिकापुर

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने आज सरगुजा संभाग के मुख्यालय अम्बिकापुर स्थित गंगापुर में बहुप्रतिक्षित नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का शुभारंभ किया। उन्होंने इस मेडिकल काॅलेज के प्रारंभ होने पर सरगुजावासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी तथा एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से भी चर्चा की।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करना विद्यार्थी का अधिकार है और हाॅयर सेकेण्डरी की शिक्षा प्राप्त करना सरकार के प्रावधानों का लाभ उठाना है, परन्तु एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त करना केवल विद्यार्थी का अधिकार नहीं है बल्कि इसमें समाज का सहयोग और सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में केवल फीस के आधार पर नहीं होती हैं, बल्कि समाज और सरकार के योगदान से ही संभव होता है। उन्होंने कहा कि कोई कितने भी बड़े बन जायें और शहर के चकाचैंध में न पड़े बल्कि अपने गांव से रिश्ता मत तोड़ें, चूंकि गांव का रिश्ता ही भावनात्मक और वास्तविक रिश्ता होता है। श्री नड्डा ने मेडिकल काॅलेज के छात्र-छात्राओं से कहा कि वे जब चिकित्सक बन जायें तो ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने से न कतरायें, ताकि सरगुजांचल का कोई स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सक विहिन न रहने पाये।

 

केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि आज का दिन सरगुजा क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन है और यहां मेडिकल काॅलेज खुलने से सरगुजा क्षेत्र विकास में लंबी झलांग लगायेगा। उन्होंने कहा कि इस मेडिकल काॅलेज के खुलने से दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को भी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला है। इस मेडिकल काॅलेज से पढ़ाई पूर्ण कर डाॅक्टर के रूप में प्रदेश एवं देश के कोने-कोने में सेवा देंगे, जिससे इस क्षेत्र का नाम रोशन होगा। केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि चूंकि मैं छŸाीसगढ़ का प्रभारी रहा हूंॅ इसलिए बलरामपुर, कोरिया, सरगुजा, जशपुर एवं सूरजपुर आदि क्षेत्रों से भी मेरा भावनात्मक जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि नियमों का पालन कराना हमारा दायित्व है, लेकिन हम यह भी देखते है कि नियमों के कारण किसी क्षेत्र के विकास में रूकावट न आने पायें, इसलिए हमने नियमों को शिथिल करते हुए प्राथमिकता के आधार पर अम्बिकापुर मेडिकल काॅलेज को मान्यता दिलाने का कार्य किया है। श्री नड्डा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र से पढ़-लिखकर विभिन्न बड़े पदों पर जाने के बाद भी व्यक्ति को अपने क्षेत्र के स्कूल एवं अस्पताल के बारे में विचार कर मानवीय दृष्टिकोण से वहां के विकास के लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए।

 

प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सरगुजा क्षेत्र में मेडिकल काॅलेज खुलने से न केवल सरगुजा बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए भी गौरव का दिन है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा द्वारा आदिवासी बाहुल्य अंचल के इस मेडिकल काॅलेज अम्बिकापुर को मान्यता दिलाने के लिए व्यक्तिगत रूचि लेकर और नियमों को शिथिल करते हुए कार्य किया गया है, जिसके लिए सरगुजा सहित छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से उन्हें धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा के सहयोग के बिना इस मेडिकल कालेज को मान्यता मिलना संभव नहीं था, इस मेडिकल काॅलेज में 100 सीट स्वीकृत होने से ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे बच्चे जिन्हें मेडिकल की पढ़ाई करने का अवसर नहीं मिलता या फिर इसके लिए उन्हें अगले वर्ष पुनः पीएमटी की परीक्षा देना पड़ता उन्हें भी इस वर्ष मेडिकल कालेज के खुलने से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।

 

मुख्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि निजी मेडिकल काॅलेज में पढ़ाई करने के लिए 30 से 35 लाख रूपये खर्च करना पड़ता जबकि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में 50 हजार रूपये ही फीस लगती है। उन्होंने बताया कि मैं जब मुख्यमंत्री बना उस समय छŸाीसगढ़ में मेडिकल की 200 सीट ही सीमित थी और अब छत्तीसगढ़ में एम्स को मिलाकर कुल 11 मेडिकल काॅलेज हो गये है, जिसमें 6 शासकीय मेडिकल काॅलेज है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक मेडिकल काॅलेज स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को 400 करोड़ रूपये निवेश करना पड़ता है तथा एक चिकित्सक बनाने के लिए एक से डेढ़ करोड़ रूपये राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस मेडिकल काॅलेज के लिए 40 एकड़ भूमि आबंटित की गई है जहां नये मेडिकल काॅलेज का सुसज्जित भवन बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरगुजा में मेडिकल काॅलेज खुलने से इस आदिवासी बाहुल्य सरगुजांचल के लोगो का सपना साकार हुआ है। उन्होंने एमबीबीए में पढ़ाई करने वाले बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि चिकित्सक की पढ़ाई पूरे तन-मन से करें। उन्होंने कहा कि केवल एमबीबीएस की पढ़ाई का लक्ष्य न रखें बल्कि उसके आगे और एमडी और चिकित्सक विशेषज्ञ आदि की पढ़ाई भी करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चूंकि चिकित्सक से बेहतर एवं पवित्र दूसरा काम नहीं है, साथ ही दीन-दुखियों की सेवा करने का भी अवसर मिलता है। मुख्यमंत्री डाॅ. सिंह ने कहा कि आज से 50 वर्ष बाद भी जब लोग इस क्षेत्र की कोई बड़ी उपलब्धि या घटना के बारे में याद करेंगें तो मेडिकल काॅलेज का नाम सभी के जुबा पर आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मेडिकल काॅलेज को मान्यता दिलाने में प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अजय चंद्राकर का भी योगदान रहा है।

इस अवसर पर एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाली छात्रा कांकेर जिले की कुमारी मोनिका नाग, बिलासपुर की स्वाति, जशपुर के अनील राम तथा दुर्ग जिले की मोना साहू ने इस मेडिकल काॅलेज को मान्यता दिलाने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया तथा भविष्य में इसे सर्वसुविधायुक्त चिकित्सा महाविद्यालय का स्वरूप दिलाने का आग्रह किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव सुब्रत साहू ने कहा कि सरगुजा संभाग के इस मेडिकल काॅलेज को दो माह पूर्व मान्यता मिली थी। इसके लिए 100 सीटे स्वीकृत है, जिसमें से 74 सीटों में विद्यार्थियों ने प्रवेश ले लिया है। उन्होंने बताया कि अगले दो-तीन वर्षो में नये मेडिकल काॅलेज भवन तैयार कर लिया जायेगा।