अम्बिकापुर. खेल मैदान सूने पडे.. मैदान मे रेगुलर प्रेक्टिस करने वाले खिलाडी घर मे बैठे बैठे परेशान हो रहे है… लेकिन उन खिलाडियो से अलग अम्बिकापुर मे बास्केटबॉल के खिलाडी हर दिन अभ्यास कर रहे हैं.. जिसके लिए उनको मैदान जाने की जरूरत नहीं पड रही है.. बल्कि वो अपने घरो मे ही रहकर अपने कोच से आन लाईन कोचिंग के माध्यम से अपने फिटनेस बनाए रखने के लिए रोजाना अभ्यास कर रहे हैं..
सरगुजा जिले के करीब 24 बास्केटबॉल खिलाडी नेशलन प्रतियोगिता मे अपना खेल कौशल का लोहा मनवा चुके हैं… तो करीब 6 से अधिक बच्चियां आज अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ के प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.. औऱ शायद यही वजह है कि राष्ट्रीय रेफरी और सरगुजा बास्केटबॉल एशोसिएशन के कोच राजेश प्रताप सिंह प्रतिभा मे जंग नहीं लगने देना चाहते.. बल्कि लॉकडाउन मे भी अपने जिले औऱ संभाग की प्रतिभाओ को चमकाने का प्रयास जारी रखे हुए हैं… राजेश प्रताप सिंह के मुताबिक वो लॉक डाउन के दौरान भी अपने मोबाईल से ही खिलाडियो को आनलाईन कोचिंग दे रहे हैं.. जिसमे वो बच्चो को बास्केबॉल से जुडे स्कील और एक्सरसाईज को सुबह सिखा भी रहे हैं.. और अपने घर औऱ दफ्तर मे ही बैठकर मानिटरिंग भी कर रहे हैं..
ऑनलाईन कोचिंग सुनकर भले ही आसान लगता हो.. लेकिन अपने कोच से कई किलोमीटर दूर बैठकर उनके द्वारा सिखाए जा रहे स्कील औऱ एक्सरसाईज का इंप्लीमेंट करना शायद उतना ही कठिन होगा… लेकिन फिर सरगुजा बास्केटबॉल संघ की खासकर महिला खिलाडी इस मामले मे इतनी दक्ष है कि वो रोजना सुबह 6 और शाम 5 बचे अपना या अपने गारजियन के मोबाईल लेकर अभ्याय को तैयार रहती हैं..
ऑनलाईन चेटिंग और आनलाईन वीडियो कॉलिंग जैसे शब्द सुनकर शायद ये लगता है कि आनलाईन कोचिंग भी इतना ही आसान हो सकती है.. लेकिन आन लाईन कोचिंग कितनी आसान है.. ये तो लॉकडाउन के दौरान कोचिंग करने वाले रिमझिम औऱ प्रज्ञा जैसी तमाम खिलाडियो का ही पता होगा… जो मजबूरी मे सही पर अपने प्रदेश देश और शहर का नाम रोशन करने के लिए अपनी प्रतिभा मे जंग लगाने की बजाय उसको निखारने के लिए अपने घरो मे रहकर अपनी छत या ऑगन से आनलाईन कोचिंग के माध्यम से बास्केटबाल के अंतराष्ट्रीय स्कील औऱ एक्सरसाईज सीख रही हैं…