शहर के ताईकवांडो खिलाडी नें रचा इतिहास : 61 साल में पहली बार स्वर्ण पदक

अम्बिकापुर

शहर में संचालित 100 सीटर आवासीय विद्यालय के छात्र खिलाडी दीपांशु लकडा नें शहर ही नही प्रदेश का गौरव बढाया है। 12 साल के दीपांशु लडका नें वो कर दिखाया जो छ्त्तीसगढ के 61 वर्षो से इतिहास में नही हुआ था। दरअसल दीपांशु नें नेशनल स्कूल गेम्स फेडरेशन आँफ इण्डिया में आयोजित ताईकवांडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। जो स्कूल गेम्स फेडरेशन आँफ इण्डिया में ताईकवांडो खेल के इतिहास में पहली बार हुआ है।

जिले के मानिकप्रकाशपुर का रहने वाले 12 वर्षीय राष्ट्रीय खिलाडी दीपांशु लकडा की परिवारिक स्थिती ठीक ना होने के कारण उसके परिजनो नें उसका दाखिला केदारपुर के 100 सीटर आवासीय विद्यालय में कराया। दीपांशु की मां इसी विद्यालय में खाना बनाने का कामt1 करती है। खराब परिवारिक स्थिती को खेल के प्रति उत्साह देखकर ताईकवांडो के प्रशिक्षक-कोच मनीष राजा नें उसको ताईकवांडो की ट्रेनिग देनी शुरु की। जिसके बाद विभिन्न ताईकवांडो प्रतियोगिता में अपने खेल प्रतिभा को दिखाते हुए ,मनीष नें इस वर्ष पुणे में आयोजित 61 वी नेशनल स्कूल गेम्स फेडरेशन आँफ इण्डिया प्रतियोगिता में 23 किलोग्राम वर्ग प्रतियोगिता में देश के कई राज्य के खिलाडियो को परास्त कर स्वर्ण पदक जीत लिया है। राष्ट्रीय स्तर की ये प्रतियोगिता 3 से 7 फरवरी तक आयोजित की गई थी। इस होनहार खिलाडी नें पिछले वर्ष जबलपुर में आयोजित इसी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था। लेकिन स्वर्ण पदक की चाह और कोच मनीष राजा के कुशल मार्गदर्शन में दीपांशु नें इस बार अपने सपने को पूरा कर लिया।

पहली बार ताईकवांडो के किसी खिलाडी नें इस बडी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। लिहाजा दीपांशु की इस सफलता को लेकर दीपांशु के मां शशिकला, पिता राजेश लकडा और ताईकवांडो कोच मनीष राजा के साथ ही 100 सीटर शासकीय आवासीय विद्यालय के छात्र और अन्य खिलाडियो में खुशी व्यापत है। दीपांशु कल रेल मार्ग से अम्बिकापुर पंहुचेगा। जिसके स्वागत के लिए ताईकवांडो खेल के अलावा अन्य खेल से जुडे लोग उसके स्वागत के लिए रेल्वे स्टेशन पंहुचगे।