छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एसडीएम कार्यालय में पदस्थ एक बाबू को 5000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। रिश्वत की रकम जमीन डायवर्सन के नाम पर दिया जा रहा था। गौरतलब है कि रिश्वतखोरी की ये शिकायत तीन चार महीने पहले की गई थी। उस समय पुराने कलेक्टर और उनके चहेते तात्कालिक एसडीएम की मनमानी आम लोगों के सर चढकर बोलती थी।
आपको बता दें कि सूरजपुर एसडीएम ऑफिस में पदस्थ सहायक ग्रेड 2 मुनेश्वर कुमार द्वारा पीड़ित सुनील कुमार द्वारा जमीन के डायवर्सन कराने के नाम पर आज रिश्वत मांगी गई थी। जिसके ₹5000 रुपये रकम लेकर पीड़ित, बाबू को देने गया था। इससे पूर्व पीड़ित द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो में रिश्वत मांगने की शिकायत की गई थी। जिसके सत्यापन करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम भी मौके पर ट्रेप कार्रवाई करने पहुंची थी। पीड़ित ने जैसे ही बाबू को रिश्वत के पांच हजार रुपए पकड़ाया। इसी दौरान मौके पर मौजूद एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने उक्त रिश्वतखोर बाबू को रंगे हाथ पकड़ लिया। जिसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पीड़ित का बयान
“मैं अपने निजी हित के स्वामित्त्व का 5 डिसमिल का जमीन, जो रामानुजनगर में स्थित है। उसके डायवर्शन के लिए लगाया। डायवर्शन से संबंधित जो दस्तावेज थे पूरे किए गए मेरे द्वारा। और इसके बाद मैंने तत्कालीन एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा से मिला था और बताया कि मेरे डायवर्शन के लिए इतना विलंब क्यों किया जा रहा है। तो उन्होंने फ़ाइल मंगाकर चेक किया और अपने सहायक ग्रेड 2 (बाबु) मुनेश्वर, जो डायवर्शन शाखा देखते है। बोला गया कि उनसे मिलिए। उनसे मिलने गया तो मुझे 3-4 माह तक घुमाया गया। आज बताऊंगा-कल बताऊंगा कहकर। इसके बाद मेरे सीए बताये की 50 हज़ार रुपये का व्यवस्था कीजिये। मैंने निवेदन किया 5-7 हज़ार रुपये लेकर काम को करो और उससे अधिक मेरी क्षमता नहीं है। उन्होंने 30 हज़ार रुपये में फाइनल किया था। अभी तत्कालीन एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा चले गए। इसके बाद उन्होंने मुझे 3-4 बार कॉल किया कि आपका फ़ाइल रिजेक्ट कर दिया जाएगा। जबकि ऐसा रिजेक्शन का कोई प्रावधान नहीं है। मैं यह मानता हूं कि यहां बैठे जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में ऐसा काम होता है। क्योंकि इन्हें इस बात का जरा सा भी ख्याल नहीं है। कौन सा फाइल कितने दिनों से लंबित पड़ा हुआ है। आज मैंने एसीबी कार्यालय को सूचना दिया था और एसीबी कार्यालय अम्बिकापुर के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई के लिए बुलाया गया मुझे। तो जो 30 हज़ार का राशि तय हुआ था। उसके मैंने 5 हज़ार का नगद पैसा दिया और ये कहकर की अभी थोड़े देर में बाकी शेष राशि दे दूंगा। उनके बाबू मुनेश्वर द्वारा पैसा रिसीव किया गया।“