रायपुर – छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुईया उइके ने को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग दोनों को अलग-अलग विभाग होने का अनुमोदन किया है। अब आदिम जाति और अनुसूचित जाति दोनों का विकास विभाग अलग-अलग होगा, इससे पहले दोनों का विकास विभाग एक ही था। सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 6 सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ के बड़े वर्ग से जुड़े इस विभाग को तीन अलग-अलग हिस्से में बांटने का निर्णय लिया गया था। पहले से ही ओबीसी व अल्पसंख्यक कल्याण का विकास विभाग अलग था। इसके बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कैबिनेट की बैठक के बाद आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग में से अनुसूचित जाति विकास विभाग को पृथक करने हेतु छत्तीसगढ़ शासन कार्य ( आबंटन) नियम में संशोधन संबंधी मंत्रि परिषद् आदेश का अनुमोदन कर दिया है।
इस आशय से छत्तीसगढ़ शासन कार्य आबंटन नियम की अनुसूची शीर्षक 25 में ‘‘आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग’’ को प्रतिस्थापित करते हुए ‘‘आदिम जाति विकास विभाग’’ किया गया है। साथ ही उसके भाग (अ) से (ऊ) तक से संबंधित प्रविष्टियों को भी प्रतिस्थापित किया गया है। उक्त नियमों के अनुसूची शीर्षक 56 के प्रविष्टियों के पश्चात् अनुसूची शीर्षक 57 ‘‘अनुसूचित जाति विकास विभाग’’ जोड़ा गया है तथा शीर्षक के अंतर्गत भाग (अ) से (ऊ) जोड़ा गया है। उल्लेखनीय है कि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा समेकित रूप से 04 आयोग, 04 विकास बोर्ड, 04 प्राधिकरण, 04 अल्यसंख्यक कल्याण संस्थाएं, 19 अनुसूचित जनजाति के एकीकृत विकास परियोजना, 06 PUTC के अभिकरण एवं 09 PUTG के प्रकोष्ठ इस प्रकार 50 संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। साथ ही अनुसूचित जाति के 43 जाति समूह एवं अनुसूचित जनजाति के 42 जाति समूह का अनुसंधान कार्य संचालित किया जाता है। अत्एव कार्य सुविधा के दृष्टि से आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग में से अनुसूचित जाति विकास विभाग को पृथक किया जाना प्रस्तावित किया गया था।