रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा सभा की कार्यवाही लगातार जारी है। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा – राज्यपाल पड़ोसी राज्य ओड़िशा से आते हैं। हमारे राज्य का ओड़िशा के साथ प्रगाढ़ संबंध रहा है।उनके आने से छत्तीसगढ़ को लाभ मिलेगा ऐसी मेरी आशा है। राज्यपाल पहली बार आये और विपक्ष के साथियों की टिप्पणी पर मुझे दुख है, मैं खेद व्यक्त करता हूँ। विपक्ष ने कोर्ट में लगे मामले का ज़िक्र किया लेकिन कण्डिका 65 के बारे में कुछ नहीं कहा। राज्यपाल के पास जुआ प्रतिषेध बिल, कुलपतियों की नियुक्तियाँ का बिल भी लंबित है।
विपक्ष ने कहा कि ये मामला सब ज्यूडिस है। ये बिल विधानसभा की संपत्ति है। ये सही बात है, कंडिका 200 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि विधानसभा से जो बिल आएगा उस पर हस्ताक्षर करे। किसी बिंदु पर आपत्ति है तो उसे फिर से भेजे या फिर राष्ट्रपति के पास भेजे।
यह पूरा प्रदेश जानता है कि राजभवन का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है। राज्यपाल ने आरक्षण को लेकर सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि या तो अध्यादेश लाइए या विशेष सत्र बुलाया जाये।
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल ने आपत्ति जताई। कहा – राजभवन का क्या दुरुपयोग हुआ? नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि राज्यपाल को लेकर टिप्पणी सदन में नहीं होनी चाहिये। सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में चर्चा हो सकती है। राज्यपाल के अधिकारों पर नहीं, राजभवन पर आरोप लगाना उचित नहीं है। कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव करने वाले सदस्य ही सदन से ग़ायब हैं तो फिर चर्चा किस बात की हो रही है।
जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- शुरुआत इन्होंने की है। राज्यपाल का अभिभाषण चल रहा था तब विपक्ष ने ये मामला उठाते हुए कहा था कि राज्यपाल को लेकर लगी याचिका सब ज्यूडिस है। और फिर सदन में सत्तापक्ष विपक्ष के बीच गहमागहमी की स्थिति बन गयी।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- हमने राज्यपाल के अधिकारों पर चर्चा नहीं की। हमने चर्चा इस बात पर की राज्यपाल का मामला सब ज्यूडिस है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- चूँकि संपत्ति विधानसभा की है और सवाल हमसे पूछा जायेगा। विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। सदन की कार्यवाही से किया वाकआउट।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- बीजेपी के सदस्यों को सच सुनना पसंद नहीं। आरक्षण बिल सर्व सम्मति से विपक्ष ने सदन में पारित कराया लेकिन जब शेड्यूल नौ में शामिल करने की बात आई तब ये भाग गये। आरक्षण बिल पारित होने के बाद हमारे मंत्री रात तक राजभवन में बैठे रहे कि बिल पर राज्यपाल दस्तख़त कर दे लेकिन मालूम नहीं कि एकात्म परिसर से क्या आदेश आया, राज्यपाल बिल पर दस्तख़त करने के मामले को घुमाती रही। राज्यपाल को संविधान में मिले अधिकारों को मैं चुनौती नहीं दे रहा हूँ।
हम सब नियम क़ानून से बंधे हुए हैं। लेकिन इसके इतर कोई शक्तियों का प्रयोग करेगा तो न्यायालय है,हम न्यायालय गये। जो सच है उसके लिए लड़ना चाहिए, ज़िंदा है तो ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है और जब बात उसूलों की हो तो टकराना ज़रूरी है। बीजेपी सेंट्रल एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। ईडी और आईटी के बाद अब आईबी का दुरुपयोग किया जा रहा है। युवा कांग्रेस के नेता को आईबी का अधिकारी फ़ोन कर कहता है कि महेश गागड़ा के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर लिखना बंद करो।
राज्य का किसान, युवा, महिला समेत हर वर्ग सरकार के साथ हैं। उनकी दाल नहीं गलने वाली इसलिए एजेंसियों की मदद ली जा रही है।