सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग दूरस्थ स्थलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए हो : राज्यपाल श्री दत्त

                                                 राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा बढ़ी : डॉ. रमन सिंह
विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक आयोजित

रायपुर

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति श्री शेखर दत्त की अध्यक्षता में आज यहां राजभवन में विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 23वीं बैठक आयोजित हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय सहित मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार, सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण तथा राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
बैठक के प्रारंभ में राज्यपाल ने राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के वेबसाइट का बटन दबाकर शुभारंभ किया। इसके माध्यम से जहां महाविद्यालयों को गुणवत्ता सुधार करने तथा रैंकिंग अर्जित करने में सुविधा मिलेगी तथा उनका उच्च शिक्षा विभाग से ऑनलाइन के माध्यम से त्वरित गति से संवाद स्थापित हो सकेगा। बैठक में बताया गया कि अभी तक 118 महाविद्यालय इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमें अवसर दिया है कि सीमित संसाधनों से भी योग्यतम शिक्षकों के माध्यम से राज्य के दूरस्थ स्तर तक के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें और ऐसे क्षेत्रों के विद्यार्थी, शिक्षकों से संवाद कर अपनी शंकाओं का समाधान कर सकें तथा प्रश्न-उत्तर किया जा सके। डॉ. रमन सिंह ने भी कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ लेने की जरूरत है और अब हमारे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक भी ऐसी प्रौद्योगिकी और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी है।
बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कल ही हम सभी ने सूर्य उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति मनाया है। छत्तीसगढ़ राज्य की उच्च शिक्षा की व्यवस्था भी तेजी से बदल रही है। राज्य के बाहर के विद्यार्थी अब छत्तीसगढ़ पढ़ने आने लगे हैं और देश में राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा बढ़ी है। उन्होंने बताया कि राज्य में 21 नए महाविद्यालय प्रारंभ किए गए हैं तथा 581 सहायक प्राध्यापक के पद भी भरे गए हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डे ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं के लिए जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आवश्यक है, वहीं यह भी जरूरी है कि हमारे विश्वविद्यालय अपने-अपने विशिष्ट ज्ञान और कार्य संस्कृति से अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान बनाएं। वे ऐसे वार्षिक कैलेण्डर बनाएं जो न केवल व्यावहारिक हो बल्कि उनमें विद्यार्थियों के हितों को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
बैठक में राज्यपाल ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं का आह्वान किया कि वे इतने उच्चकोटि की गुणवत्ता वाले बनें और यहां के संस्थाओं से निकलने वाले विद्यार्थी इतने ज्ञानवान और सामर्थ्यवान हो कि यहां कैम्पस में ही उन्हें नौकरी का ऑफर देने के लिए बड़ी संख्या में नियोक्तागण पहुंचें तथा विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार उनमें से अपनी नौकरी का चयन करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थाओं से आग्रह किया कि वे अपने वेबसाइट को लगातार अपडेट करें और इसके प्रमुख बिन्दुओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे दूसरे राज्यों के विद्यार्थी भी छत्तीसगढ़ की ओर ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दीक्षांत समारोह के माध्यम से देश के प्रख्यात वैज्ञानिकों और प्रतिष्ठित संस्थाओं के पदाधिकारियों को आमंत्रित किये जाने की परम्परा विकसित की जा रही है। इसी तारतम्य में आगामी 28 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई में इसरो के चेयरमेन तथा प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. के. राधाकृष्णन दीक्षांत भाषण देंगे। हमारे विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं के लिए आवश्यक है कि वे ऐसे प्रतिष्ठित अतिथियों के साथ एक जीवंत एवं नियमित संवाद बनाए रखें और ऐसा प्रयास करें कि हमारे राज्य के विद्यार्थी ओएनजीसी जैसी विविध एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं में इंटर्नशिप करने पहुंचें।

बैठक में राज्यपाल ने रिसर्च एवं शोध पर जोर देने की आवश्यकता बताई, उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में बहुलता से उपलब्ध लघु वनोपजों और मसालों के अध्ययन-अध्यापन किये जाने पर जोर दिया। उन्होंने परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि यह भी देखने को आता है कि कई बार कुछ संस्थाएं विद्यार्थियों से उनके मूल प्रमाण-पत्र अपने पास रख लेती हैं। ऐसी प्रथाओं पर कड़ाई से रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने के उददेश्य में निजी क्षेत्र हमारे सहयोगी के रूप में हैं। अतः उन्हें राज्य शासन के विभागों तथा नियामक ईकाईयों द्वारा पूरा-पूरा सहयोग दिया जाना चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि निजी शिक्षण संस्थाएं लालसापूर्ण व्यवसाय का रूप न लें।

राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने शैक्षणिक संस्थाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति पर सर्वाधिक जोर देने की जरूरत है, क्योंकि इनके आधार पर जहां विद्यार्थियों को जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, वहीं संस्थाओं के रैंकिंग का निर्धारण होता है तथा यूजीसी से अनुदान भी मिलता है।  उन्होंने कहा कि जिस तरह स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के शिक्षकीय कौशल बढ़ाने तथा प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्थित व्यवस्था है, वैसी ही व्यवस्था उच्च शिक्षा संस्थानों में भी बढ़ाई जानी चाहिए।

स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का निर्णय

बैठक में विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर की अध्यक्षता और बिलासपुर, सरगुजा और बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपतियों की सदस्यता में एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने यूजीसी के निर्देशों के अनुरूप शैक्षणिक सुधार हेतु चरणबद्ध पद्धति से सेमेस्टर प्रणाली, ग्रेडिंग प्रणाली, आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली, च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम लागू करने की अनुशंसा की है। समन्वय समिति ने इस अनुशंसा पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की तथा इसके लिए व्यवस्थित रूप से तैयारी करने पर बल दिया है। यह प्रणाली वर्ष 2014-15 से लागू होगी। बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति के आग्रह पर यह भी निर्णय लिया गया कि यह प्रणाली बस्तर विश्वविद्यालय के लिए वर्ष 2015-16 से लागू होगी।

छात्र संघ चुनाव पर सैद्धांतिक स्वीकृति

बैठक में छात्र संघ चुनाव गठन पर भी सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई तथा निर्णय लिया गया कि लिंगदोह समिति के अनुशंसाओं और माननीय उच्च न्यायालय के निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन कुलपतियों से चर्चा कर इसकी प्रक्रिया निर्धारित करेगी।

एक हजार नए सहायक प्राध्यापकों की भर्ती होगी

बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री बी. एल. अग्रवाल ने बताया गया कि हाल ही में लोक सेवा आयोग के माध्यम से महाविद्यालयों के लिए 581 सहायक प्राध्यापकों के पदों पर नियुक्तियां की गई हैं। इसमें से 90 सहायक प्राध्यापक बस्तर और 143 सरगुजा जैसे क्षेत्रों में जहां शिक्षकों की कमी है, पदस्थ किये गए हैं। इसके अलावा एक हजार बीस अतिथि शिक्षकों के माध्यम से भी अध्ययन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में एक हजार नए सहायक प्राध्यापकों की भर्ती शीघ्र किये जाने का निर्णय लिया गया है। भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग से पत्राचार किया जा रहा है और आग्रह किया जा रहा है इसे शीघ्रता से पूरा करायें। उन्होंने बताया कि राज्य में सेट परीक्षा के अच्छे परिणाम रहे हैं और इससे राज्य के युवाओं को नौकरी मिलने में सुविधा होगी।

शैक्षणिक ऋण प्राप्त करने के लिए युवाओं को मिले समुचित व्यवस्था

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शैक्षणिक संस्थाओं में भर्ती होने वाले युवाओं को शैक्षणिक ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकों के चक्कर नहीं लगाने पड़े इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाने का निर्णय लिया गया, जिससे संबंधित शैक्षणिक संस्थाएं और प्रशासन भी शैक्षणिक लोन सुलभता से दिलाने में उनकी मददगार बने। मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार ने यह भी कहा कि राज्य शासन की धनराशि ऐसे ही बैंकों पर रखी जानी चाहिए जो ऐसे युवाओं या शासन के योजनाओं के लिए मदद करने के लिए आगे आती हैं। यह भी निर्णय लिया गया कि शैक्षणिक संस्थाओं के भूतपूर्व छात्रों के संगठन या एल्युमनी को सशक्त बनाया जाए और संस्थाएं उनसे सतत् संपर्क और संवाद में भी रहे। उनसे मिलने वाले सहयोग राशि को ऐसे विद्यार्थियों को अनुदान के रूप में प्रदान करने के प्रयास किये जाएं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण प्रो. एस. के. पाण्डे, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, डॉ. एस. के. पाटील, डॉ. बी. सी. माल, डॉ. माण्डवी सिंह, डॉ. जी. बी. गुप्ता, डॉ. ए.आर. चन्द्राकर, डॉ. यू.के. मिश्रा, डॉ. एन.डी. आर. चन्द्रा, डॉ. जी. डी. शर्मा, डॉ. बी. एल. शर्मा, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. सत्येन्द्र पी. गुप्ता, डॉ. टी. दयाकारा राव, डॉ. सुरेखा ठक्कर उपस्थित थे। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री डी.एस. मिश्रा, प्रमुख सचिव श्री एम. के. राउत, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन भी उपस्थित थे। बैठक में उच्च शिक्षा के सचिव श्री बी.एल. अग्रवाल ने कार्यक्रम का संचालन किया।