रायपुर : मनरेगा: केन्द्र ने किया छत्तीसगढ़ का अनुसरण : छत्तीसगढ़ में सभी क्षेत्रों और वर्गो के श्रमिकों को सालाना 150 दिन के रोजगार : केन्द्र ने भी लिया निर्णय लेकिन यह केवल वन क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों तक सीमित की गारंटी
रायपुर, 11 जनवरी 2014
मनरेगा पर अमल करने में केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ का अनुसरण कर रही है, जबकि छत्तीसगढ़ इस योजना में केन्द्र से भी दो कदम आगे चल रहा है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत प्रदेश के सभी जिलों में प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को प्रति वर्ष 150 दिनों के रोजगार की गारंटी दी है। मुख्यमंत्री पिछले वर्ष 19 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा कर चुके हैं और उनकी घोषणा पूरे प्रदेश में लागू हो गयी है। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दो दिन पहले इस महीने की सात तारीख को देश के सभी राज्यों को परिपत्र भेजकर मनरेगा में 150 दिनों के रोजगार के प्रावधान की जानकारी दी है, लेकिन इसे केवल वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी परिवारों और वन अधिकार मान्यता पत्र धारक परिवारों तक सीमित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की योजना में हालांकि मजदूरों को साल भर में 100 दिनों का रोजगार देने की व्यवस्था है, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 50 अतिरिक्त दिनों का रोजगार राज्य के बजट से देने का निर्णय लेकर इसे लागू भी कर दिया है। छत्तीसगढ़ में क्षेत्र और वर्ग के बन्धन के बिना सभी क्षेत्रों और सभी वर्गो के ग्रामीण श्रमिकों को राज्य सरकार के इस प्रावधान का लाभ मिल रहा है। लेकिन उधर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा 07 जनवरी 2014 को देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में मनरेगा का काम देख रहे प्रमुख सचिवों और सचिवों को परिपत्र भेजकर बताया है कि मनरेगा में मजदूरी आधारित रोजगार के वर्तमान 100 दिनों के प्रावधानों को 150 दिन करते हुए इसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के उन परिवारों के लिए लागू किया जाएगा, जिन्हें वर्ष 2006 के वन अधिकार कानून के तहत जमीन के मान्यता पत्र दिए गए हैं। यह प्रस्ताव केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिया गया था। इस केन्द्रीय योजना में ग्रामीण श्रमिकों को सालाना 100 दिनों का रोजगार देने का प्रावधान है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रस्ताव का परीक्षण करके यह तय किया है कि मनरेगा में 50 अतिरिक्त दिनों का रोजगार केन्द्रीय मद से अनुसूचित जनजाति वर्ग उन परिवारों को दिया जाए, जो वन क्षेत्रों में निवास करते हैं और जिनके पास वन अधिकार मान्यता पत्र की भूमि के अलावा अन्य कोई निजी सम्पत्ति नहीं हैं।