धान के बोनस पर किसानो से धोखा : शैलेष नितिन त्रिवेदी

भाजपा सरकार वायदा खिलाफी का पुराना दौर दुहराने की तैयारी में

रायपुर 
अपने घोषणा पत्र में धान के समर्थन मूल्य को 2100 प्रति क्विंटल करने का वायदा कर मुकरने वाली भाजपा सरकार एक बार फिर से किसानो से धोखाधड़ी करने की तैयारी में लग गयी है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों से धान पर समर्थन मूल्य के साथ 300 प्रति क्विंटल बोनस देने का भी वायदा किया था लेकिन किसानो को धान का बोनस नहीं दिया जा रहा है। सरकार के द्वारा बहानेबाजी की जा रही है कि बोनस की राषि भुगतान लोकसभा चुनाव के बाद किया जायेगा। सरकार किसानो को बोनस की राषि देना ही नहीं चाहती। लोकसभा चुनावों में बोनस नहीं देने से विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिये लोकसभा चुनाव के बाद बोनस देने की झूठी बातें और झूठे वायदे किये जा रहे है। भाजपा सरकार स्पष्ट करें कि धान की कीमत के भुगतान के साथ बोनस की राषि देने में क्या परेषानी है? ऐसी कौन सी दिक्कते है जो बोनस राषि का भुगतान साथ में नहीं किया जा रहा है। घोषणा पत्र में वायदा कर उस वायदे से मुकरना भारतीय जनता पार्टी की पुरानी फितरत है पिछले चुनाव में भी किसानों से धान पर 270 रू.प्रति क्विंटल बोनस देने का वायदा किया गया था लेकिन सिर्फ शुरूआती वर्ष ही धान का बोनस दिया गया। लोकसभा चुनाव के बाद 3 वर्ष तक बोनस नहीं दिया गया 2013 के विधानसभा चुनाव को देखते हुये अंतिम वर्ष भी बोनस का भुगतान किया गया। तीन वर्ष के बोनस के 3880 करोड़ रू. सरकार ने किसानों को नहीं दिया। भाजपा सरकार वही वायदा खिलाफी का दौर फिर दुहराने की तैयारी में लग गयी है। कांग्रेस मांग करती है कि किसानों को धान की कीमत के साथ बोनस का भी भुगतान किया जायें।

 

भाजपा सरकार की लापरवाही के कारण लाखो टन धान खराब हो रहा  : त्रिवेदी

भाजपा सरकार की लापरवाही और अकर्मण्यता के कारण पूरे प्रदेष में किसानों की मेहनत से पैदा किया गया तथा आम जनता की गाढ़ी पसीने की कमाई से खरीदा गया लाखों टन धान खुले में पड़ा बारिष में भीग कर खराब हो रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष समर्थन मूल्य में 70 प्रतिषत धान अभी तक असुरक्षित और खुले में पड़ा हुआ है। वर्तमान में लगभग 56 लाख टन धान जिसकी कीमत 7392 लाख रू. है। पानी में भीग चुका है तथा खराब हो रहा है संग्रहण केन्द्रों, खरीद केन्द्रों के खुले में पड़े धान में अंकुरण आ गया है धान के अंकुर बोरियों से बाहर निकल चुके है। भाजपा सरकार ने धान की सुरक्षा और रखरखाव के लिये न कोई ठोस नीति बनाई है और न ही कोई  कार्य योजना बनाई गयी है। कागजों में धान की सुरक्षा के लिये करोड़ो रू. की केप कवर तिरपाल आदि की खरीदी की गयी लेकिन हकीकत में करोड़ो रू. के ये सुरक्षा इंतजाम कहीं दिख नहीं रहे है। धान संग्रहण केन्द्रों में रखे गये धान के बोरे की छल्लियों में पानी भरा हुआ है जल निकासी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है, फटे हुये कैप कवर और तिरपाल सिर्फ खानापूर्ति के लगाये गये हैं आधे से अधिक छल्लियों में तो कैप कवर और तिरपाल लगाये ही नहीं गये है। बडीा शर्मनाक और आपत्तिजनक बात है कि असामयिक बारिष से पूरे प्रदेष में लाखों टन धान भीग कर बर्बाद हो रहा राज्य के खाद्य मंत्री को इस नुकसान की कोई खबर ही नहीं है। प्रदेष के किसी भी इलाके में 5-10 किमी की दूरी पर खुले में भीगते धान की बोरिया दिख जायेंगी लेकिन मंत्री महोदय को राज्य की संपदा के नुकसान की कोई जानकारी नहीं है। असुरक्षा और लापरवाही से धान के खराब होने का मामला नया नहीं है इस प्रकार का नुकसान प्रतिवर्ष होता है लेकिन प्रतिवर्ष होने वाले इतने बड़े नुकसान के बाद भी सरकार न सुरक्षा पर ध्यान दे रही है और ना ही रख रखाव के लिये उचित प्रबंध कर रही है।