सूरजपुर। समय के साथ छात्रों और कम उम्र के बच्चों में बढ़ते मोबाइल गेम के लत का दुष्प्रभाव बढता ही जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सूरजपुर के तिलसिंवा गांव में आया है। जहां एक 17 वर्षीय छात्र को पिता ने पब्जी गेम खेलने से मना किया, तो छात्र ने खुदकुशी कर ली। जिससे क्षेत्र में शोक का माहौल है।
बदलते समाज में मोबाईल की अहमियत जितनी बढ रही है। उतना ही इसका दुष्प्रभाव भी बढ रहा है। जहां आज कम उम्र के बच्चों के साथ युवाओ में दिल और दिमाग में मोबाईल गेम अपना जगह बना चुका है, लेकिन मोबाईल गेम पब्जी ने हद पार कर दी है। दरअसल, सूरजपुर के तिलसिंवा गांव का रितेश पिछले एक साल से पब्जी गेम के चंगुल मे फंस गया था और हमेशा मोबाईल में गेम खेलते रहता था।
परिजन बताते हैं कि पब्जी गेम की लत ने रितेश के व्यवहार में धीरे धीरे परिवर्तन ला दिया था। रितेश ने इसी वर्ष 12वीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वहीं गुरुवार को रितेश के पिता प्रेम सिंह जो पेशे से एक किसान है। उन्होंने रितेश को गेम खेलने से मना किया और अपने साथ खेत में काम पर चलने के लिए कहा और यह बात रितेश को नागवार गुजरी और उसने नाराज होकर अपने पिता के कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया और आज सुबह जब पिता ने दरवाजा खोला तो रितेश फांसी पर लटका हुआ था। इस घटना से पुरे परिवार में मातम छा गया।
सोशल मिडिया के दौर में कम उम्र के बच्चों में बढते मोबाईल गेम कि लत के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए खुद परिवार और समाज को नए स्तर पर जागरुक होने कि जरुरत है। जिसे लेकर डॉक्टरों का कहना है कि बच्चो को मोबाईल के साथ परिजनों को भी निगरानी कि जरुरत है। जब तक परिजन मोबाईल गेम के दुष्प्रभाव को नही समझेंगे तब तक बच्चों में ऐसी मानसिक बिमारी बढ़ेगी। जिसके भंयकर दुष्परिणाम होंगे।