सूरजपुर..(क्रांति रावत/ललन सिंह)..छत्तीसगढ़ राज्य में कुपोषण से पीड़ित बच्चों, अल्पवयस्क लड़कियों और माताओँ पर इस समस्या का गंभीर रूप सामने आए. इससे पहले ही राज्य सरकार द्वारा सुपोषण पर हर स्तर के प्रयास जारी हैं. राज्य के सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिला में सुपोषण के प्रति एक सकारात्मक पहल की जा रही है. ये पहल कई मायनों में, बाकी जिलों में सुपोषण योजना के उच्चतर मापदंडों के लिए एक मार्गदर्शिका का कार्य कर सकता है और कुपोषण कम करने के लिए निर्धारित 2 प्रतिशत वार्षिक लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है.
विभिन्न प्रकार के स्वप्रेरित योजनाओं और उनके प्रभाव के आंकलन के लिए, यूनिसेफ और एम.सी.सी.आर के संयुक्त तत्वधान में अंकेक्षण और सर्वेक्षण करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल ने जिले में कई आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा किया. इस दौरे में ग्रामीणों में महिला एवं बाल विकास विभाग और कई दूसरे विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों से भी इस बारे में बात की.
यूनीसेफ कम्युनिकेशन फार डेवलपमेंट अधिकारी अभिषेक सिंह और कम्युनिकेशन अधिकारी सैम सुधीर बंडी ने बताया कि पूर्व में सितंबर के पहले सप्ताह को पोषण सप्ताह के रूप मे मनाया जाता था. परंतु विगत वर्ष से पूरे सितंबर माह को ही पोषण माह घोषित किया गया है. इसके लिए राज्य स्तर पर बैठक कर कार्ययोजना बनाई गई. इसके बाद जिला स्तर पर भी अधिकारियों के साथ जन आंदोलन कार्ययोजना तैयार की गई. कम्युनिटी बेस्ड इवेंट के माध्यम से गोद भराई एवं अन्नप्राशन का कार्यक्रम आंगनबाड़ी केंद्रों में लगातार जारी है. जनभागीदारी के बिना कुपोषण को दूर नहीं किया जा सकता.
स्वच्छ भारत प्रेरक सुश्री दीपशिखा ने सूरजपुर जिले में सुपोषण के लिए किए जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया. जिले में कुपोषण की दर 26.86 प्रतिशत है. यह आंकड़ा वजन त्यौहार से निकलकर सामने आया है. जिले के प्रत्येक गांव में प्रभात फेरी निकाल कर जनप्रतिनिधियों के द्वारा कलश जलाकर, शपथ लेकर पोषण माह की शुरुआत की गई. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया तथा पोषण माह की तैयारी के बारे में बताया गया जिसके सार्थक परिणाम सामने आए. समुदाय के प्रत्येक वर्ग को इस कार्यक्रम से जोड़ने के लिए विद्यालय स्तर पर रंगोली निबंध और क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. ग्राम स्तर पर एनीमिया कैंप, पद यात्रा साइकिल रैली निकाली गई. कलेक्टर के द्वारा पोषण रथ भी निकाला गया. एनीमिया कैंप में T3 टेस्ट ट्रीट और टॉक के माध्यम से इसे दूर करने के उपाय किए गए. गर्भवती और धात्री माताओं को तिरंगा भोजन चावल रोटी दूध हरे में साग सब्जी केसरिया में दाल वगैरह प्रदान करने की तैयारी की गई है. प्रत्येक ग्राम पंचायत में पोषण सभा का आयोजन किया गया.
इस सभा में तय किया गया कि त्यौहार को छुट्टी के रूप मे नहीं बल्कि सुपोषण से जोड़कर मनाया जाएगा. गणेश उत्सव के दौरान पण्डालों में सुपोषण पात्र रखा गया. जिसमें स्वेच्छा से लोगों ने खाद्य सामग्री दान किया बाद में उससे बालभोज कराया गया. सप्ताह में दो दिन बच्चों को अंडा तथा अंडा नही खाने वाले बच्चों को मूंगफली गुड़ की पट्टी दिया जा रहा है.
मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र ग्राम पचिरा (उरांव पारा) की कार्यकर्ता बसंती कुलदीप ने सेंटर स्तर पर किए जा रहे कार्यों के बारे मे बताते हुए कहा कि शिशु के 1000 सुनहरे दिन (गर्भस्थ अवस्था से दो वर्ष की अवस्था तक) सुपोषण पर ध्यान देने से भविष्य भी सुनहरा होगा. इसी सूत्र के अनुसार कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें गोद लेकर सुपोषित किया जा रहा है. इसके सकारात्मक परिणाम भी आने लगे हैं. दो दिवसीय दौरे के पहले दिन ग्राम पंचायत पचिरा और तिलसिंवा के आंगनबाड़ी केन्द्रों का अवलोकन किया गया.
इस दौरान महिलाओं ने सुगा लोकगीतों के माध्यम से सुपोषण का संदेश दिया. सरपंच और अन्य लोगों के द्वारा पचिरा में 6 और तिलसिंवा में 12 कुपोषित बच्चों को गोद लेकर सप्ताह के प्रत्येक दिन पोषक आहार देने की कवायद की जा रही है. दूसरे दिन सिलफिली परियोजना के कल्याणपुर सेक्टर के हरिजनपारा आंगनबाड़ी केन्द्र का अवलोकन किया गया. इस दौरान रोचक गतिविधियों के माध्यम से सुपोषण का संदेश दिया गया. मटकी फोड़ कार्यक्रम में महिलाओं ने माता और शिशु मृत्यु, एनीमिया, डायरिया आदि की मटकी फोड़ी.
20 कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उन्हें सुपोषित करने की शुरुआत की गई. इस दौरान 100 बच्चों को पोषण थैली का वितरण किया गया और बालभोज मे बच्चों को पौष्टिक आहार दिया गया. इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी मुक्तानंद खूंटे, जिला महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रभा लकड़ा, परियोजना अधिकारी मरियम तिग्गा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं, महिला स्वयं समूह की सदस्य सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.