भरी बरसात में खुले असमान पढ़ने को मजबूर बच्चे…!

[highlight color=”yellow”]शंकरगढ़ विकासखण्ड के ग्राम जगीमा में अब तक प्रायमरी स्कूल का भवन नहीं बना [/highlight]

 

[highlight color=”red”]बलरामपुर [/highlight]

 

शंकरगढ़ विकासखण्ड के अर्तगत आने वाले ग्राम पंचायत जगीमा के नावापारा में वर्षों से संचालित हो रही प्रायमरी स्कूल को अब तक भवन नसीब नही हो सकी है। जिसके परिणाम स्वरूप शाला में पढ़ने वाले छात्र-छात्राऐं गर्मी ठण्ड और बरसात में खुले में पठन पाठन करने को मजबुर है। ग्रामों में  संचालित शैक्षणिक गतिविधियों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। कि वर्षो से संचालित स्कूल को उसका छत अब तक नसीब नहीं हुआ तो अन्य व्यवस्थाओं का क्या हाल होगा। बच्चो कि कलास कभी आंगनबाड़ी के परिसर में तो कभी खेतो के किनारे पेडो  के निचे लग रही है। यहां 1957 में  एक कच्चे मकान में प्रायमरी स्कूल शुरू किया गया था। जो कुछ सालों के बाद भारी बारिश  के कारण ढह गया था स्कूल भवन ढहने के बाद कुछ लोगो ने स्कूल भवन कि जमीन पर कब्जा कर अपना घर बना लिया।

ग्रामीणों का कहना है कि मिटटी के मकान में चल रहे स्कूल के ढहते ही गांव के कुछ लोगो ने उस जमीन पर कब्जा कर लिया इसकी शिकायत कई बार कलेक्टोरेट, तहसील, एसडीएम, बीईओ  कार्यलय और ग्राम सुराज में भी कि गई लेकिन अभी तक कोई सुनवाही नहीं हो पाई है। स्कूल निर्माण के लिए सारे दस्तावेज होने बाद भी निर्माण में परेषानी हो रही है। आज प्रायमरी के बच्चे आंगनबाड़ी के बच्चों के साथ पढ़ाई करते है। नवापारा स्कूल में वर्तमान में कुल 14 बच्चे है। इसकी पढ़ाई के लिए प्रधान पाठक सहित दो शिक्षक है। ये शिक्षक अव्यवस्था के बीच बच्चों को पढ़ाने में मजबूर है। स्कूल के प्रधान पाठक फुलदेव राम ने बताया कि 1986 से यहा पदस्थ हूॅ कच्चे मकान के ढह जाने के बाद 1987 से 1997 तक गांव के ही एक ग्रामिण के घर की परछी में स्कूल का संचालन किया जाता था। 2009 में आंगनबाडी भवन बनने के बाद अव्यवस्था के बीच पढ़ाई होने लगी। नायब तहसीलदार के साथ मौके का निरीक्षण किया गया था।

जमीन विवाद से भवन का निर्माण नही हो पा रहा है। भवन निर्माण के लिए राषि का आवंटन हुआ था । जिसे दूसरे स्कूल भवन के निर्माण में खर्च कर दिया गया स्कूल के लिए कही दूसरी जगह जमीन मिले तो भवन का निर्माण कराया जाएगा।
बीईओ…… आरएनएस यादव