बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..आपने छत्तीसगढ़ के दूरस्थ वनांचल से आयी ऐसी कई तस्वीरें देखी होंगी..जो सरकार के विकास के दावों को झुठलाते नजर आते है..और ग्रामीण अपनी किस्मत को कोसते नजर आते है.. लेकिन अब जो तस्वीर निकलकर आयी है..यह किसी दूरस्थ वनांचल की नही है..बल्कि बलरामपुर जिलामुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम खडियाडामर की है..जहाँ पहुचने को सड़क तो नही है..लेकिन इस सड़क के नही होने से कई ग्रामीण असमय काल के गाल में समा गए है..स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है..जिसका बन्द एयरकंडीशनर कमरों बैठे अधिकारी सही तरीके से आंकलन ही नही कर पा रहे है..वही गांवों का विकास कर ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ने वाले अधिकारी अब गैर जिम्मेदाराना बयान देकर अपना पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे है..मानो ग्रामीणों की मार्मिक गुहार उनतक पहुँची ही नही..और उन्हें इन ग्रामीणों से कोई सरोकार नही..
दरअसल बलरामपुर जिलामुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर है..ग्राम पंचायत खडियाडामर जिसका एक पारा है..कोयलीडामर जहाँ पंडो कोरवा,उरांव जनजाति के लगभग 80 परिवारों का बसेरा है..लेकिन इस मोहल्ले को ग्राम पंचायत मुख्यालय से जोड़ने सड़क ही नही है..जिसका नतीजा यह है..की बीमार ग्रामीण सही समय पर अस्पताल नही पहुँच पाते..समय रहते उनका उपचार नही हो पाता..चारपाई के सहारे उन्हें 2 किलोमीटर का पैदल सफर कर सड़क तक लाया जाता है..और बीच सांस चलती रही तो बचने की आस की डोरी बंधी रहती है..सांस के रुकते ही पलभर में सब खत्म भी हो जाता है..इस गाँव मे दर्जनों ऐसे ग्रामीण है..जिन्होंने सड़क ,पुल पुलिया के नही होने से अपनो को खोया है..
नींव ही नही मजबूत..तो बाकी योजनाओ का क्या?..
कोयलीडामर में सरकार की कई योजनाएं क्रियान्वित हो रही है..लेकिन इन सभी योजनाओं की नींव तो सड़क ही है..और अब जब नींव ही ना हो तो अब सहज अनुमान लगाइये की सरकार की उन योजनाओं का क्या?..जो ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ने बनाई गई हो..कोयलीडामर की मितानिन अनिता बताती है..की जब से वह इस कोयलीडामर में है..तब से यही स्थिति है..और वह गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने ग्रामीणों की मदद से 2 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुँचती है..और फिर महतारी एक्सप्रेस से अस्पताल पहुँचाती है..गर्भवती महिलाओं को चारपाई पर लिटा कर बीहड़ गढ्ढो में तब्दील रास्तो से होकर गुजरना रिस्क तो है..पर मजबूरी भी..
प्रस्ताव पर प्रस्ताव..पर नही मिला धरातल पर सड़क..
खडियाडामर के सरपंच मनोज बताते है..की सड़क की समस्या को लेकर उन्होंने प्रशासन को कई बार दरखास दिया..मगर उनकी सुनवाई नही हुई.. जनप्रतिनिधियों से भी मांग रखी पर जनप्रतिनिधियों ने भी अपना मतलब साध कर “यानी वोंट बटोर कर “चलते बने..ग्रामीण सड़क के लिए अपनी जमीनें तक देने को तैयार है..उनकी स्थानीय सरकार है..की कुछ सोंच ही नही रही ..
स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को भी होती है दिक्कत!..
स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला जिनमे महतारी एक्सप्रेस भी शामिल है..के चालक बताते है..की जब से महतारी एक्सप्रेस सेवा शुरू हुई है..तबसे ही यही स्थिति है..ग्रामीण मरीजो को चारपाई में लादकर सड़क तक लाते है..और वे सड़क पर ग्रामीणों का इंतजार करते है..समस्या तो है..
जनप्रतिनिधियों को छोड़िये..अधिकारियों का जवाब भी..लाजवाब है!..
वही ग्रामीणों की समस्या पर जनपद पंचायत बलरामपुर के सीईओ केके जायसवाल का कहना है..की ग्रामीणों द्वारा दिया गया सड़क का प्रस्ताव उन्होंने आगे भेज दिया है..और उनका दावा है..की गांव में सड़क बनाने की योजना पर इस वर्ष मुहर लग जायेगी..मगर साहब यह भी कहते हुए कैमरे में कैद हो गए..जब उन्होंने कहा कि..उन्हें बलरामपुर में आये डेढ़ माह ही हुए है..पहले क्या हुआ उन्हें नही पता..समस्या है..पर समाधान क्यो नही हुआ उन्हें नही पता..
बहरहाल कोयलीडामर के हालात ये है..की आपातकालीन व्यवस्थाओ के तहत गांव में हमेशा 4 से 5 ग्रामीण गम्भीर रूप से बीमार ग्रामीणों को सड़क तक चार पाई के सहारे ले जाने के लिए तैयार रहते है..और मानो यह एक प्रथा के समान चली आ रही है..और ग्रामीणों के चेहरों पर सुलगते यही सवाल है..की आखिर कबतक हम इसी तरह की जिंदगी गुजर बसर करेंगे..और कितने अपनो को खोएंगे..आखिर कब तक?..