पिछली बरसात की तबाही से भी नहीं लिया सबक.. इस वर्ष क्या होगा हाल

बलरामपुर (कृष्ण मोहन कुमार) जिले के महराजगंज में बीते वर्ष बाढ़ आने से बाढ़ से  बहा पुल, प्रशासन की अनदेखी की वजह से बाढ़ आपदा मद से आज तक नही बन पाया है और यही हाल रहा तो इस मानसून में भी उक्त पुल जस का तस रह जायेगा और स्कूल के रास्ते मे क्षतिग्रस्त पुल की वजह से बच्चे घर से स्कूल तक का सफर तय नही कर पाएंगे, वही अब कलेक्टर अपने मातहतों को भेज कर स्थिति का जायजा लेने की बात कह रहे है।
बलरामपुर जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्रामपंचायत महराजगंज के डोंगी दाह पारा में  नाले पर बना पुल पिछले वर्ष अति वर्षा के होने से बाढ़ की चपेट में आकर धराशाई हो गया था,तथा प्रशासन की उदासीनता की चलते इस पुल का कायाकल्प आज तक नही हो पाया,वही पुल को पार करके ही स्कूली बच्चे पढ़ाई करने स्कूल जाते है,और इन स्कूली बच्चों के लिए बरसात आ जाने के बाद भी पुल को नही बनाया जाना परेशानी का सबब बन सकता है।
वही ग्रामीण पुल के मरम्मत के अभाव में क्षतिग्रस्त पुल के किनारे से पैडग़री के सहारे गाँव से बाहर निकल पाते है,और इस समस्या से वे लंबे समय से जूझ रहे है,ग्रामीण कहते है कि उन्होंने पुल को बनाने की गुहार स्थानीय प्रशासन से कई बार की लेकिन उनकी इस समस्या को गम्भीरता से लेकर हल करने वाला कोई भी जिम्मेदार अधिकारी वहां नही पहुँचा, और यही हाल बना रहा तो ग्रामीणों का सम्पर्क कम से कम 3 माह तक जिला मुख्यालय से कट जाएगा,और उन्हें बदहाली में जीवन गुजारना पड़ेगा।
चारपाई के सहारे ले जाते है,मरीज गांव के पहुँच मार्ग पर बना पुल क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों के समक्ष कई तरह की समस्याओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया है,तो वही ग्रामीण गांव में किसी की तबियत खराब हो जाने पर उसे चारपाई में लाद कर पैडग़री के सहारे मुख्यमार्ग तक ला पाते है,तब कहि जाकर उन्हें वाहनों के माध्यम से अस्पताल तक पहुँचाया जाता है।
वही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस पुल को बनवाने कलेक्टर से लेकर प्रभारी मंत्री तक से मांग कर चुके है,यही नही शासन द्वारा चलाये गए महत्वाकांक्षी अभियान लोक सुराज में भी शिकायत कर चुके है,लेकिन लक्ष्य समाधान में भी उन्हें कोई लाभ नही मिल पाया,वही अब क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अब वैकल्पिक व्यवस्था के तहत श्रमदान कर पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से पर मिट्टी डालने की बात कह रहे है।
ग्रामीण स्तर पर मौजूद पंचायत सचिव नारायण सरदार की माने तो क्षतिग्रस्त यह पुल वर्ष 2009 में बीआरजीएफ मद से 6 लाख की लागत से बनाया गया था,और पिछले वर्ष हुए भारी बारिश के चलते नाले में आई बाढ़ की वजह से बह गया था,और बाढ़ आपदा मद से पुल की मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था,बावजूद इसके प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन अफसरों ने इसे गम्भीरता से नही लिया।
प्रशासन जागा नींद से…
वही कलेक्टर अवनीश कुमार शरण से इस सम्बंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे अपने अधीनस्थ कर्ममचरियो को मौके पर भेज कर स्थिति का जायजा लेंगे,और उक्त पुल को बनवाने जल्द से जल्द प्रयास करेंगे।
योजनाओ की उड़ रही धज्जियाँ.
यू तो प्रदेश में बीते वर्ष आई बाढ़ से क्षतिपूर्ति का आकलन कर जनहानि में मुवावजा देने का प्रावधान है,और सड़क,पुल, पुलियों के क्षतिग्रस्त होने पर बाढ़ आपदा मद से मरम्मत कराने का प्रावधान है,बावजूद इसके जिले का सरकारी तंत्र इस दिशा में अबतक इस पुल को नही बनवा पाया यह समझ से परे है,और अब कलेक्टर साहब के आस्वासन के बाद पुल की मरम्मत हो पाती है ,या नही यह देखने वाली बात हैं।